यूपीएससी की परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों का चयन आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और आईआईएसएस के पदों पर रैंक के आधार पर होता है. जो अभ्यर्थी अच्छी रैंक लाते हैं वे आईएएस बनते हैं. यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास करने के बाद सभी चयनित अभ्यर्थियों को मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री ट्रेनिंग अकेडमी में ट्रेनिंग के लिए बुलाया जाता है.

प्रशिक्षण समय के पहले महीने में आईएएस अफसरों को कोई वेतन नहीं मिलता है. एक आईएएस अधिकारी का वेतन उसके पद और पदोन्नति के आधार पर बढ़ता है.

आईएएस की पहली तैनाती एसडीएम के पद पर होती है. जिसके बाद पदोन्नति होती रहती है. 5 से आठ वर्ष तक एसडीएम के पद पर काम करने के बाद अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट बनाए जा सकते हैं. जिसके बाद जिला मजिस्ट्रेट, डिविजनल कमीशन, प्रमुख ससचिव, अपर मुख्य सचिव, प्रमुख शासन सचिव और भारत के कैबिनेट सचिव बनाए जा सकते हैं.

यह सभी पद अनुभव के आधार पर दिए जाते हैं. कैबिनेट सचिव के तौर पर आईएएस अफसर की तैनाती 37 वर्ष से ज्यादा काम करने के अनुभव के बाद होती है. जबकि प्रमुख शासन सचिव पद पर 30 से 36 वर्ष तक काम करने के बाद तैनाती होती है.

अपर मुख्य सचिव 30 से 33 वर्ष तक काम करने के बाद बनाया जाता है. जबकि प्रमुख सचिव 25 से 30 वर्ष काम करने के बाद बनाया जाता है.

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