भारत का संसद भवन 1927 में बनकर तैयार हो गया था. एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने इसे डिजाइन किया था. 1921 में इसका निर्माण शुरू हुआ था और 1927 में यह बनकर तैयार हो गया था. 2.4 हेक्टेयर में फैले इस भवन के निर्माण में तब करीब 83 लाख रूपये खर्च हो गए थे.

भारत की इस संसद भवन के पहले तल्ले की बालकनी में 144 पिलर्स हैं. जिनकी प्रत्येक की उंचाई 25 फुट है. संसद भवन के ये पिलर्स के एक शानदार दृश्य पेश करते हैं. भले ही भवन का डिजाइन विदेशी वास्तुकारों ने बनाया था, लेकिन इसका निर्माण भारतीय सामग्री व भारतीय श्रमिकों द्वारा किया गया था.

सेन्ट्रल हॉल में पंखे उल्टे क्यों लगे हैं

संसद के सेन्ट्रल हॉल में बड़े-बड़े पंखे उल्टे लगे हुए हैं. जिसकी वजह है कि जब ये संसद बनाई गयी तो इसका गुंबद काफी ऊंचा बनाया गया. सेंट्रल हॉल का गुंबद पूरे संसद का सेंटर है. जब पंखे लगाने की बारी आई तो छत बहुत ऊंची होने की वजह से सीलिंग फैन लगाना मुश्किल हो गया.

लंबे डंडे के जरिए पंखे लगाने की बात हुई लेकिन ऐसा हुआ नहीं. ज्यादा लंबे डंडे लगाना भी सही नहीं लग रहा था. इसलिए फिर सेन्ट्रल हॉल की छत की उंचाई को ध्यान में रखते हुए अलग से खंबे लगाए गए और उनपर उल्टे पंखे लगाए गए. ऐसा करने से संसद के कोने-कोने में हवा अच्छी तरह फ़ैल जाती. वहां बैठे लोगों को राहत मिलती. बाद में जब एसी लगाने का समय आया तो संसद के उल्टे पंखे को एतिहासिक तौर पर लगे रहने की बात कही गयी.

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