आप दस रुपये से लेकर दो हजार रुपये तक के नोटों को एक दूसरे के साथ शेयर करते होंगे. कभी- कभी एक हाथ से दूसरे हाथ में निरंतर नोटों के आदान प्रदान के कारण नोट फट भी जाते हैं. और एक समय ऐसा भी आ जाता है कि नोटों की हालत एकदम दयनीय हो जाती है जिस कारण बाजार में इसे नहीं चलाया जा सकता है. इन्हीं नोटों को रिजर्व बैंक आफ इंडिया चलन से बिल्कुल बाहर कर देता है और इन नोटों को अपने बैंक में वापस ले लेता है.

लेकिन ऐसे में ये सवाल उठता है कि इन नोटों का क्या होता है? इस विषय में जानने की इच्छा तो सभी की होती है ऐसे में जानते हैं कि इन कटे-फटे नोटों का आरबीआई करती क्या है और ऐसा कौन सा नोट है जिसे आरबीआई के द्वारा नहीं छापा जाता है?

इस तरह के नोटों का अपना एक औसतन जीवन होता है जिसका अनुमान आरबीआई द्वारा उसकी प्रिंटिग के समय ही लगा लिया जाता है और नोट की जीवन-अवधि संपर्ण होने के पश्चात आरबीआई इन्हें वापस ले लेता है इन्हें अधिकोषों द्वारा इकट्टठा किया जाता है और फिर उनको छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित कर दिया जाता है हालांकि पहले इन नोटों को जला दिया जाता था परंतु पर्यावरण की दयनीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए अब इन नोटों का पुनर्चक्रण किया जाता है.

इसके लिए सबसे पहले नोटों के छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित कर दिया जाता है और फिर पुनर्चक्रण करके इनसे कई प्रकार के उत्पाद बनाए जाते हैं. आरबीआई द्वारा सिक्कों से लेकर नोटों को छापने का काम किया जाता है. लगभग लगभग सभी मुद्राओं को छापने का काम आरबीआई की ओर से किया जाता है.

1 रुपये का नोट नहीं छाप सकती RBI-

आरबीआई के पास 10 हजार रुपये के नोट को छापने का अधिकार है परंतु 1 रुपये को नोट RBI नहीं बल्कि भारत सरकार खुद छापती है. इसके अलावा अतिरिक्त कब कितने नोटों को छापना है इसकी अनुमति भी आरबीआई को भारत सरकार की ओर से लेनी पड़ती है.

 

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