हवाई जहाज को हवा में उड़ते देख एक सवाल दिमाग में आना लाजिमी है कि हवाई जहाज उड़ाने वाले पायलट को आसमान में रास्ते का पता किया तरह चलता है. बहुत ही कम लोग हैं जिन्हें ये मालूम है कि किस तरह पायलट रास्ते और अन्य बातों की जानकारी आसानी से कर लेता है.
आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि पायलट को कैसे पता चलता है कि प्लेन को कितनी ऊंचाई पर उड़ाना है, कहां पर मोड़ना है, कब लैंडिंग करनी है आदि. हवाई जहाज में रास्ते का पता लगाने के लिए कई नेविगेशन सिस्टम लगे होते हैं. इन्हीं नेविगेशन सिस्टम का उपयोग करके पायलट रास्ते से जुड़ी जानकारी हासिल कर लेता है.
जहाज में ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम, इनरटीएल रिफरेंस सिस्टम और रेडियो एड्स जैसे नेविगेशन सिस्टम लगे होते हैं. उड़ान भरने से पहले पायलट अपने सामने लगी कंप्यूटर स्क्रीन पर यात्रा के मार्ग को लोड़ कर लेता है. इससे उसे यात्रा के मार्ग पर पर आने वाले हवाई अड्डे, ऊंचे स्थान, खराब मौसम आदि का पता चलने लगता है.
जीपीएस तकनीक से विमान की लोकेशन पता चलती रहती है. जब कभी जीपीएस में समस्या आ जाती है तो दूसरे नेविगेशन सिस्टमों का सहारा लिया जाता है. इन नेविगेशन सिस्टम की मदद से पायलट अपने निर्धारित स्थान पर पहुंच जाता है.