वैसे तो विश्व के लगभग सभी देशों में घूमने की कई जगह होती हैं जो कि बेहद खास होती हैं, लेकिन हर देश के लिए उसकी संसद भी काफी खास होती है. ऐसे में लोग बाहर से भी संसद को देखने आते हैं, ये किसी देश के लिए एतिहासिक धरोहर होती है.

ऐसे में अगर भारतीय संसद की बात की जाए तो यहां एक अनोखी बात देखने को मिलती है जिसे देखकर हर कोई हैरान रह जाता है और वो वजह है यहां के पंखो का उल्टा होना. आखिर ऐसा क्यों है इस बारे में भी जानते हैं. संसद भवन की नींव 21 फरवरी 1921 को ड्यूक आफ क्नाट ने रखी थी.

संसद भवन की अभिकल्पना दो मशहूर वास्तुकारों सर एडिवन लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर ने की थी. संसद को बनने में इस दौरान 6 साल का समय लगा था. इसका उद्घाटन समारोह भारत के तत्कालीन गर्वनर लार्ड इर्विन ने 18 जनवरी 1927 को आयोजित किया था. वहीं संसद की बनावट काफी अलग है इन सबके बीच यहां के पंखे सबका ध्यान अपनी ओर खींचते हैं. यहां सीलिंग पर लगने वाले पंखे उल्टे लगे हुए हैं.

ऐसे में हर कोई इसका कारण जानना चाहता है कि आखिर ऐसा क्यों है. दरअसल पंखे उल्टे लगे होने के पीछे विशेषज्ञ मानते हैं कि ये शुरु से ही इसी तरह लगे हुए हैं. ऐसे में सालों से संसद भवन की ऐतिहासिकता को बनाए रखने के लिए इनके साथ कोई बदलाव नहीं किया गया है, जिसके चलते ये आज भी उल्टे ही लगे हुए हैं. संसद भवन एक विशाल वृत्ताकार भवन है. इसकी परिधि एक मील की एक तिहाई 563.33 मीटर है. संसद भवन लगभग 6 एकड़ में फैला हुआ है. यहां की हर एक चीज काफी अलग है.

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