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मध्यप्रदेश के इंदौर में रहने वाली मूक-बधिर गीता को पाकिस्तान से लौटे पांच साल हो गए है. लेकिन उसे माता-पिता का अभी तक कोई सुराग नहीं मिल सका है. अब गीता अपने माता-पिता की तलाश में महाराष्ट्र के नांदेड पहुंची है. गीता करीब 20 साल पहले पाकिस्तानी सैनिकों का लाहौर स्टेशन पर ट्रेन समझौता एक्सप्रेस में मिली थी. उस समय गीता की उम्र सात-आठ वर्ष रही होगी.
इसके बाद ईडी फाउंडेशन से जुड़े एक शख्स ने वहां गोद ले लिया था. तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के तमाम प्रयासों के बावजूद 26 अक्टूबर 2015 को गीता भारत लौटी थी. स्वराज गीता को प्यार से हिंदुस्तान की बेटी बुलाती थी. स्वराज ने गीता से मुलाकात करके उसे आश्वासन दिया था कि सरकार उसके माता-पिता को ढूञने का प्रयास कर रही है.
गीता जिसकी उम्र 30 साल के आसपास इस समय बताई जा रही है. वो इस समय मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में दिव्यांगो ते एक गैर सरकारी संगठन आनंद सर्विस सोसायटी में रह रही है. इस दौरान कई दंपति सामने आए जिन्होंने गीता को अपनी बेटी होने का दावा किया लेकिन गीता ने उनमें से किसी को भी नहीं पहचाना और उनमें से कोई अपने दावों के पक्ष में कोई ठोस सबूत नहीं उपलब्ध करा सका.
उधर दूसरी ओर इंदौर के सरकारी अधिकारी और एनजीओ के लोग गीता के माता-पिता की तलाश में जुटे हुए हैं लेकिन अभी तक किसी प्रकार की कोई सफलता हाथ नहीं लगी है. एनजीओ के सांकेतिक भाषा के विशेषज्ञ ज्ञानेंद्र पुरोहित की मदद से गीता ने पत्रकारों से कहा कि वो अपने माता-पिता को ढूढ़ने का प्रयास कर रही है. उसने बताया कि उसका घर एक रेलवे स्टेशन के पास था जिसके पास एक अस्पताल, मंदिर और नदी है.

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