सुप्रीमकोर्ट में शनिवार को एक फैमिली प्लानिंग से संबंधित एक याचिका से जुड़े मामले में केंद्र सरकार ने अपना हलफनामा दाखिल किया है. जनसंख्या नियंत्रण पर केंद्र सरकार का कहना है कि किसी को जबरन फैमिली प्लानिंह के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है. टू चाइल्ड के नियम यानी सिर्फ दो बच्चे पैदा करने की बाध्यता का विरोध करते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीमकोर्ट में आज हलफनामा दाखिल किया.
केंद्र सरकार की ओर से दाखिल किए गए हलफनामे में स्पष्ट किया गया कि अतंर्राष्ट्रीय स्तर पर जिस देश ने भी दो बच्चे पैदा करने की बाध्यता के लिए कानून बनाया है उसका नुकसान ही हुआ है कहा कि ऐसे में पुरुष और महिला की आबादी के बीच संतुलन बनाना मुश्किल हो जाता है.
सुप्रीमकोर्ट में बढ़ती जनसंख्या पर परेशानी जताते हुए एक याचिका दाखिल की गई ह याचिका में मांग की गई है कि देश में हर दंपति को सिर्फ दो बच्चे पैदा करने की इजाजत दी जाए. इससे देश की जनसंख्या को नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन केंद्र सरकार ने इस सुझाव का विरोध किया है.
केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा है कि पिछले दो सेंसस के डेटा से पता चलता है कि लोग खुद ही दो बच्चे का ही परिवार रखना चाहते हैं. केंद्र सरकार का इस मामले में मानना है कि भारत में फैमिली प्लानिंग के लिए लोगों को अपने हालात और जरुरत के हिसाब से नियंत्रित करने की पहले से ही आजादी है ऐसे में इसको किसी पर जबरन लागू नहीं किया जा सकता है .
भारत को आत्मनिर्भर व सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाना ही एकमात्र विकल्प है I मेरे अनुसार, अगर भारतवर्ष को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नजरिये के अनुसार आत्मनिर्भर व सर्वश्रेष्ठ बनना है तो जनसँख्या विस्फोट को तत्काल प्रभाव से रोकना होगा I pic.twitter.com/7b6tRKTdg3
— Dr Anil Agrawal (@AnilagrwalMPBJP) August 9, 2020