बदला एक ऐसी भावना है जो जब पनपती है तो इंसान कुछ भी करने को तैया हो जाता है. इंसान तो इंसान अब तो जानवर भी इससे बचे नहीं है. एक बंदर इस समय इन दिनों इस समय चर्चा में इसलिए है कि क्योंकि वो बदला लेने के लिए कई किलोमीटर तक का सफर तय कर गया.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कर्नाटक के चिकमगलूर जिले के कोट्टिघेरा गांव में एक BONNER MACAQUE प्रजाति का एक बंदर लोगों में खौफ का विषय बना हुआ है. इस बंदर की उम्र 5 वर्ष के करीब बताई जा रही है. वो लोगों से फल और खाने की चीजों को छीन लेता है. स्कूल खुलने के बाद ये बंदर मोरारजी देसाई स्कूल के आस-पास घूमन-फिरने लगा. बच्चे बंदर से बहुत डर गए थे.
लिहाजा किसी ने वन विभाग को खबर दे दी जिसके बाद वो शरारती बंदर को पकड़ने के लिए एक टीम पहुंची. लेकिन विभाग वालों के लिए भी उसे पकड़ना आसान काम नहीं था. अधिकारियों ने आटोरिक्शा वालों और अन्य लोगों से मदद मांगी और काफी मशक्कत के बाद बंदर को पकड़ा गया. कहा जाता है कि आटो रिक्शाचालक जगदीश भी मदद के लिए पहुंचे थे इस दौरान परेशान बंदर ने जगदीश पर हमला कर दिया.
वो वहां से भाग गए लेकिन बंदर उनके पीछे भागा. वो अपने आटो में छिप गए लेकिन बंदर वहां पर भी पहुंच गया और उनके आटो के शीट्स तक फाड़ दिए. बकौल जगदीश मैं उससे बेदर डर गया था. मैं जहां भी जा रहा था वो पागल बंदर मेरे पीछे पड़ जा रहा था. उसने मुझे जोर से काट भी लिा. डाक्टर्स की टीम ने जब जख्म देखा तो उन्होंने कहा कि इस जख्म को ठीक होने में कम से कम एक महीने का समय लगेगा.
कहा कि उस दिन मैं अपने घर भी नहीं गया क्योंकि मुझे ड़र था कि वो घर तक मेरा पीछा करेगा. 30 लोगों की टीम ने लगभग 3 घंटे की मशक्कत के बाद उस बंदर को पकड़ने में सफलता पाई, वन विभाग ने गांव से 22 किलोमीटर दूर बालूर जंगल में बंदर को छोड़ दिया. लेकिन सबकुछ ठीक नहीं हुपआ. जहां कोट्टिघेरा के लोगों ने राहत की सांस ली. सब लोगों ने इस दौरान सोचा कि बंदर अब तंग नहीं करेगा.
बंदर यहां पर नहीं माना वो एक ट्रक पर चढ़कर बालुर जंगल के पास से जा रहे ट्रक पर चढ़ा. इसके बाद वो सीधे कोट्टिघेरा गांव तक जा पहुंचा जब इस बात की जानकारी जगदीश को हुई तो वो ड़र गए. वो कहते हैं जब मैंने इस बात को सुना कि बंदर वापस आ गया है तो वो बेहद ड़र गए थे. उन्होंने खुद वन विभाग को फोन किया और जल्द से जल्द आने के लिए कहा. मैंने अपने घर से बाहर नहीं गया हूं.
मुझे पता है कि ये वो वही बंदर है क्योंकि पिछले बार हमने उसके कान के पीछे निशान देखा था और मेरे दोस्त ने बताया कि गांव वालों ने बंदर के कान पर निशान देखा है. मोहन कुमार जो कि रेंज फारेस्ट आफिसर है उन्होंने कहा कि मैंने जिंदगी में पहली बार ऐसा वाक्या देखा है. आखिरकार बंदर जगदीश पर ही हमला क्यों कर रहा है इस बारे में स्पष्ट नहीं हो रहा है.