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किसी भी व्यक्ति के लिए स्वाभिमान से बढ़कर कुछ नहीं होता है. इस पोस्ट में हम आपको एक ऐसी ही स्वाभिमानी बेटी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने कभी भी अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं किया. मध्यप्रदेश के कटनी स्टेशन पर जहां 65 पुरुष कुलियों के बीच एक अकेली महिला कुली के रुप में काम करती हैं.

इससे उनके अंदर अदम्य साहस दिखाई देता है. सुत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 2015 तक संध्या की जिंदगी में सबकुछ ठीक छाक चल रहा था. वो अपने परिवार से साथ आराम से रह रही थी. लेकिन एक भूचाल आने से उनकी जिंदगी में तबाही सी आ गई.

संध्या के पति जो कि पेशे से मजदूर थे परंतु इसके बाद भी वो एक मध्यमवर्गीय परिवार की तरह रह रही थी. परंतु साल 2016 में उनके जिंदगी में सबकुछ बदल सा गया. अचानक से संध्या के कंधों पर उनके घर की जिम्मेदारी आ गई. संध्या के सामने घर का खर्चे चलाने की बड़ी चुनौती थी. अचानक आई इस मुश्किल में भी संध्या ने हिम्मत नहीं हारी.

इस दौरान उन्होंने निर्णय लिया कि वो कुली बनेंगी. इसके आगे उन्होंने समाज की चिंता ना करते हुए उन्होंने अपने कदम आगे बढाए और साल 2007 में अपना काम शुरु कर दिया. आज संध्या अपने समाज और पूरे इलाके भर के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन गई थी. यही नहीं वो अपने इस काम के लिए प्रतिदिन 40 से 45 किलोमीटर का सफर तय करती हैं. वो सब केवल और केवल इसलिए करती हैं क्योंकि इससे वो अपने बच्चों को अच्छे से परवरिश दे सकें.

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