कानपुर प्रकरण के मुख्य आरोपी विकास दुबे ने उज्जैन के महाकाल मंदिर में सरेंडर किया था. विकास के खुद को गिरफ्तार करवाने में कुछ तो ऐसा है जिसे वहां की पुलिस छिपा रही है. जांच में कानपुर पुलिस का सहयोग न करने के साथ ही मंदिर के जिस कर्मचारी ने बयान दर्ज कराए, उसी के खिलाफ कार्रवाई कर दी गयी.

यह कार्रवाई एसपी उज्जैन की संतुति पर महाकाल मंदिर के प्रशासन द्वारा की गयी है. इसी कर्मचारी ने भदोही के बाहुबली विधायक विजय मिश्रा को गिरफ्तार कराने में अहम जानकारियां दी थी.

विकास दुबे को 9 जुलाई को उज्जैन के महाकाल मंदिर से स्थानीय पुलिस ने गिरफ्तार किया था. जिसके बाद यूपी पुलिस व एसटीएफ की टीम विकास को लेकर कानपुर आ रही थी. रास्ते में उसका एनकाउंटर होने पर इसकी जांच कानपुर के गोविंदनगर इंस्पेक्टर अनुराग मिश्रा को सौंपी गयी. जांच के सिलसिले में अनुराग मिश्रा के नेतृत्व में टीम 24 सितंबर को उज्जैन पहुंची और महाकाल मंदिर के कर्मचारी गोपाल कुशवाहा से पूछताछ की.

गोपाल ने बताया कि विकास ने आकर उससे पूछा था कि बैग और चप्पल कहां रखें. कुछ देर बाद मंदिर के सुरक्षाकर्मियों ने उसे पकड़ लिया था. पुलिस ने फूल बेचने वाले सुरेश कुमार से भी पूछताछ की. इस पूछताछ के अगले ही दिन पुलिस की ओर से मंदिर के प्रशासनिक अधिकारी को पत्र लिखकर गोपाल की भूमिका संदिग्ध बताई गयी. जिसके बाद मंदिर प्रशासन ने गोपाल को नोटिस जारी किया.

वहीं जांच करने वाले इंस्पेक्टर अनुराग मिश्रा का कहना है कि गोपाल से पूछताछ की है, उसे बेवजह फंसाया जा रहा है. जांच कर रहे अधिकारियों का कहना है कि उज्जैन पुलिस सहयोग नहीं कर रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि कुछ तो है जिसे उज्जैन पुलिस छिपाना चाहती है.

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