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उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. प्रदेश में सक्रिय सभी राजनैतिक दल अभी से जोड़तोड़ और गुणाभाग में जुट गए हैं. रूठों को मनाने और दूसरों को अपने पाले में लाने की कोशिशें चल पड़ी हैं.

यूपी का चुनाव देश की राजनीति के लिहाज से बेहद अहम है क्योंकि ये कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है. यूपी देश का सबसे बड़ा सूबा भी है, यहां लोकसभा की 80 सीटें हैं. भाजपा की कोशिश है कि यूपी में दोबारा सरकार बनाई जाए जबकि विपक्षी दल वापसी की कोशिश में लगे हुए हैं.

यूपी चुनाव को लेकर भाजपा ने काम शुरू कर दिया है. सरकार और संगठन में कार्यकर्ताओं को समायोजित करने का प्लान तैयार हो चुका है. भाजपा सूत्रों के मुताबिक कार्यकर्ताओं को राज्य अल्पसंख्यक आयोग, अनुसूचित जाति आयोग सहित अन्य आयोगों, निगमों, समितियों और बोर्डों में नियुक्त किया जा सकता है.

माना जा रहा है कि अगर सबकुछ ठीकठाक चला तो जुलाई तक संगठन और सरकार में विभिन्न पदों पर तकरीबन एक लाख से अधिक कार्यकर्ताओं को समायोजित करने की तैयारी है. जिन प्रभागों और प्रकोष्ठों में कार्यकर्ताओं को समायोजित किया जाएगा वो इस प्रकार हैं.

मीडिया प्रभाग, साहित्य और प्रकाशन विभाग, चुनाव प्रबंधन विभाग, समन्वय विभाग, निर्वाचन आयोग से समन्वय विभाग, सोशल मीडिया विभाग,आईटी विभाग, सुशासन एवं केंद्र राज्य समन्वय विभाग, योजना शोध विभाग, विभाग विधी एवं न्याय विभाग.

जिला कार्यालय निर्माण और रखरखाव, पुस्तकालय, लाइब्रेरी रीडिंग रूम, स्वच्छ भारत अभियान, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं, मीडिया सम्पर्क विभाग, राजनीतिक फीडबैक विभाग, राजनैतिक कार्यक्रम और बैठक विभाग.

आपदा राहत और बचाव विभाग, आजीवन सहयोग निधि, नमामी गंगे प्रकल्प, राष्ट्रीय सदस्यता अभियान और राष्ट्रीय महासम्पर्क अभियान जैसे प्रभाग शामिल हैं.

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