सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित न्यायिक आयोग की टीम विकास दुबे एनकाउंटर की जांच के लिए कानपुर पहुंची. बिकरू प्रकरण के बाद जैसे-जैसे एनकाउंटर हुए टीम वैसे-वैसे ही जांच के लिए वहां पहुंची. टीम ने शुरुआत कांशीराम निवादा से की. इसके बाद पनकी और सचेंडी में स्पॉट का मुआयना किया गया. इस दौरान पुलिस और एसटीएफ से कई सवाल पूछे गए. कुछ सवालों के जवाब मिल भी नहीं पाए.
जांच आयोग करीब तीन बजे सचेंडी पहुंचा, जहां विकास दुबे का एनकाउंटर हुआ था. जांच आयोग के सदस्यों ने यहां सबसे पहले वह जगह देखी जहां वाहन पलटा था.
आयोग ने सवाल किए कि बारिश हो रही थी और हाइवे चौड़ा है तीन गाड़ियां एक साथ ओवरटेक कर सकती हैं. ऐसे में गाड़ी किनारे कैसे आकर डिवाईडर से टकरा गयी. जिसका जवाब एनकाउंटर टीम ने दिया कि बारिश के कारण दिखाई नहीं दिया इस वजह से गाड़ी किनारे आ गयी आगे वाला पहिया अचानक डिवाईडर पर चढ़ा और गाड़ी पलट गयी.
आयोग के सवाल के जवाब में बताया गया कि विकास दुबे गाड़ी में पीछे की सीट पर बीच में बैठा था. जिसके बाद पूछा गया कि किसने कितनी गोली चलाई और विकास को उसमें से कितनी गोली लगी. एसटीएफ के दरोगा से पूछा कि आपकी पिस्टल जो छीनी गयी थी उसमें कितनी गोलियां थीं. जिसका जवाब मिला दस. इस पर टीम ने पूछा एनकाउंटर के बाद उसमें कितनी गोली मिलीं. दरोगा ने कहा एक. बताया कि विकास ने ताबड़तोड़ फायरिंग की थी.
दरोगा से आयोग ने पूछा कि आप गाड़ी के अंदर किस तरफ बैठे थे? दरोगा बोले बाएं तरफ बैठा था. आयोग ने कहा कि बायीं तरफ गाड़ी पलटी और आप भी बायीं तरफ बैठे थे तो आप की पिस्टल तो शरीर के नीचे दब गयी होगी, फिर कैसे पिस्टल छीन ली? जिसके जवाब में दरोगा ने कहा कि सर मुझे इस बात की जानकारी नहीं है, मैं बेहोश हो गया.
आयोग ने पूछा कि गाड़ी के अंदर से विकास कैसे बाहर निकला था. इस पर दरोगा ने कहा कि पीछे के दरवाजे से. इस पर आयोग ने कहा कि आप तो बेहोश थे, यह सुनकर वहां पर कुछ देर के लिए सन्नाटा छा गया.
कई और सवाल किए गए, जब विकास भागा तो उसकी घेराबंदी कैसे हुई, रोकने का प्रयास कैसे किया गया? पुलिस ने बताया कि हाइवे के किनारे से कच्चा रास्ता था, विकास के हाथ में पिस्टल थी. वह पिस्टल पुलिस कर्मियों की तरफ तानकर भागने लगा. उसका पीछा किया गया. इस दौरान उसने कई राउंड फायर की. जवाबी फायरिंग में वह मारा गया.