उत्तर प्रदेश की 12 विधान परिषद सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए अब मुकाबला दिलचस्प हो गया है. 12 सीटों के लिए 13 प्रत्याशी मैदान में हैं. सपा और भाजपा के बाद अंतिम समय में 13वें प्रत्याशी ने निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया है. अगर 13वां प्रत्याशी नाम वापस नहीं लेता है तो वोटिंग होना तय है.

यूपी विधानसभा में विधायकों का गणित देखा जाए तो भाजपा अपने 10 प्रत्याशी आसानी से जिता लेगी मगर सपा को दूसरा प्रत्याशी जिताने के लिए जोड़तोड़ करना पड़ेगा. आज 13वें उम्मीदवार के रूप में महेश चंद्र शर्मा ने अपना पर्चा दाखिल कर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है.

अगर महेश शर्मा 21 जनवरी तक नाम वापस नहीं लेते हैं तो मुकाबला सपा के एक प्रत्याशी और महेश शर्मा में बीच होना तय माना जा रहा है. विधानसभा में दलों की स्थिती की बात करें तो विधानसभा की वेबसाइट के मुताबिक भाजपा के 310 विधायक हैं. उसकी सहयोगी अपना दल सोनेलाल के 9 विधायक हैं.

सपा के पास 49 विधायक हैं, राजभर की सुभासपा के 4 और कांग्रेस के 5 विधायक हैं. आरएलडी के पास एक और अपना दल का एक विधायक है. एक एमएलसी सीट के लिए 31 वोटों की जरूरत बताई जा रही है. मतलब साफ है कि अब सपा को दूसरी सीट जीतने के लिए अलग से वोटों को इंतेजाम करना पड़ेगा.

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