2022 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत का सपना लिए समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव अब सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर अमल कर रहे हैं. यादव मुस्लिम वोटबैंक के सहारे सत्ता हासिल करने वाली सपा की निगाहें अब दलित व पिछड़ें वोटरों पर भी लग गई है.

अखिलेश यादव ने मायावती के वोटबैंक पर सेंधमारी करने के लिए जो प्लान तैयार किया है उसका असर आगामी 6 दिसंबर से दिखना शुरू भी हो जाएगा. समाजवादी पार्टी ने एलान किया है कि वो आगामी 6 दिसंबर को बाबा साहब भीमराव अंबेडकर परिनिर्वाण दिवस को धूमधाम से मनाएगी.

इसके लिए बाकायदा तौर पर निर्देश भी जारी किए जा चुके हैं. अखिलेश इस बात से बेहतर वाकिफ हैं कि दलितों और पिछड़ों को रिझाने का उन्हें इससे अच्छा मौका नहीं मिलने वाला. सपा बसपा गठबंधन टूटने के बाद से बसपा छोड़कर सपा में आने वाले नेताओं की संख्या बढ़ी है.

अखिलेश् को इस बात अंदाजा है कि अगर दलितों का साथ न मिल पाया तो 2022 में मुख्यमंत्री बनने की राह आसान न होगी. इसलिए अब वो यादव, मुस्लिम के साथ साथ दलित वोटरों को भी अपने पाले में लाने की रणनीति पर काम करने लगे हैं. ये रणनीति कितनी कामयाब होगी इसका पता तो अब 2022 के चुनावों में ही लगेगा.

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