समाजवादी पार्टी व्यापार सभा के प्रदेश महासचिव अभिमन्यु गुप्ता के नेतृत्व में आज सपाइयों ने किसानों के समर्थन में सड़क पर उतरकर जोरदार तरीके से प्रदर्शन किया. इस दौरान कृषि मंत्री का पुतला और कृषि बिल की प्रतियां फूंकने की कोशिश की गई जिसे पुलिस ने छीन लिया. पुलिस की कार्रवाई से नाराज व्यापारियों ने कानपुर के बड़े चौराहे पर जमकर नारेबाजी की, इसके बाद कलेक्ट्रेट परिसर में सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन देने के बाद सपाई शांत हुए.
इस मौके पर सपा व्यापार सभा के प्रदेश महासचिव व उप्र प्रान्तीय व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष अभिमन्यु गुप्ता ने कहा की जिस तरह मीडिया में सरकार आढ़तियों के लिए बिचौलिया जैसे अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करके आढ़तियों को खलनायक व शोषण करने वाला चित्रित कर रही है, उससे व्यापारियों में भयंकर आक्रोश है. सरकार का यह काम निंदनीय है और छोटे व्यापारियों व आढ़तियों के लिए अपनी असली नीयत को प्रदर्शित करती है.
उन्होंने कहा जो भाजपा कभी आढ़तियों को एटीएम कहती थी आज किसानों व छोटे व्यापारियों के शोषण के लिए अब आढ़तियों को बिचौलिया बता रही है. अभिमन्यु गुप्ता ने कहा की केंद्र सरकार मंडी व्यवस्था को बर्बाद करने का काम कर, किसान व आढ़तियों के बीच दरार डालने का काम कर रही है.
इस पूरे मामले में आढ़तियों को किसानों के दुश्मन की तरह पेश किया गया है जबकी किसान को जब इलाज, शादी, पढ़ाई आदि के लिए धन की ज़रूरत पड़ी तो आढ़ती ही खड़े मिले. केंद्र सरकार आढ़त व्यवस्था को बर्बाद कर किसानों को पूजीपतियों का गुलाम बनाना चाहती है.
अभिमन्यु गुप्ता ने कहा कि किसान बिल में ये भी कहा गया है कि किसान अपना माल कहीं भी बेच सकता है और हर इलाके लिए कोई मार्किट फीस नही लगेगी, जबकि किसान तो पहले भी अपना माल कहीं भी बेच सकता था. सरकार औचित्यहीन बातों से किसान और आढ़तियों के संबंध खराब करना चाहती है.
प्रान्तीय व्यापार मंडल के कानपुर नगर अध्यक्ष जितेंद्र जायसवाल ने कहा की ये सरकार एक देश और एक विधान की तो बात करती है, लेकिन उसका मकसद सिर्फ और सिर्फ अपने से जुड़े बड़े पूंजीपतियों को फायदा पहुचाना है और देश के छोटे मध्यम व्यापारियों, किसानों व मज़दूरों को बर्बाद करना है.
इस मौके पर अभिमन्यु गुप्ता, जीतेन्द्र जायसवाल, विनय कुमार, शुभ गुप्ता, मनोज चौरसिया, सहज प्रीत सिंह, शेषनाथ यादव, अश्वनी निगम, गुड्डू यादव, आजाद खान, राजेन्द्र कनौजिया, विवेक श्रीवास्तव दीपू आदि थे.