महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उनके बेटे आदित्य ठाकरे और एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले फिलहाल मुश्किलों में घिरती हुई नजर आ रही है. इन सभी नेताओं पर चुनावी हलमनामे में संपत्ति और देनदारी की गलत जानकारी देने का आरोप है. चुनाव आयोग की ओर से मामले की गंभीरता को देखते हुए चुनाव आयोग ने इसकी जांच सीबीडीटी जांच को सौंप दी है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र में सत्तारुढ़ दल शिवसेना और उनकी सहयोगी पार्टी के इन नेताओं पर आरोप है कि इन लोगों ने चुनाव के समय जो हलफनामा चुनाव आयोग को दिया है उसमें कई जानकारियों को गलत दिया है इसके साथ ही कई अधूरी जानकारियां दी गई है.
जानकारी के मुताबिक शिकायतकर्ताओं ने अपने दावे के समर्थन में कुछ दस्तावेज सौंपे है. जिससे पता चलता है कि इन नेताओं द्वारा हलफनामे में गलत जानकारी दी गई है. इन दस्तावेजो को देखने के बाद चुनाव आयोग ने इसकी जांच सीबीडीटी के पास भेजी है.
चुनाव आयोग अब सीबीडीटी की जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रही है, ऐसे में अगर इन नेताओं पर लगाए गए आरोप सही पाए जाते है तो रिप्रजेटेंशन आफ पीपल एक्ट की धारा 125 ए के तहत सीबीडीटी इस मामले में केस दर्ज कर सकती है. इस सेक्शन के तहत अधिकतम 6 महीने की जेल या जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है.
गौरतलब है कि चुनाव में उम्मीदवारों को चुनाव आयोग के सामने अपनी सभी तरह की जानकारियों को प्रस्तुत करना होता है. इसमें आपराधिक पृष्ठभूमि, संपत्ति, देनदारी और शैक्षिक योग्यता का ब्योरा सबसे अहम है. साल 2013 में चुनाव आयोग की ओर से तय कर दिया गया था कि प्रत्येक उम्मीदवार की ओर से लिखित जानकारी की जांच सीबीडीटी को करनी होगी.