बिहार में विधानसभा चुनाव के साथ ही वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट पर उपचुनाव भी होना है. महागठबंधन के सीट बंटवारे के फार्मूले के तहत ये सीट कांग्रेस के खाते में आई थी. इस सीट पर टिकट के लिए बिहार महिला कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष रही मंजूबाला पाठक या उनके पति अजय प्रकाश पाठक की दावेदारी प्रबल मानी जा रही थी.

अंतिम समय में पार्टी ने ठन्हें टिकट न देकर दूसरे प्रत्याशी को टिकट दे दिया था. इसके बाद से अजय प्रकाश पाठक थोड़े नाराज भी हुए मगर बाद में पार्टी ने उन्हें मना लिया और उन्हें उचित सम्मान देने का आश्वासन भी दिया.

आज दिल्ली से पटना पहुंचे अजय प्रकाश पाठक से जब इस बाबत फिर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि सेवा ही मेरा धर्म है. मैं राजनीति में सिर्फ सेवा के लिए आया हूँ. नौकरशाह रहते हुए भी मैंने संविधान के आदर्शों को माना है और समाज मे खड़े अंतिम व्यक्ति तक इसका लाभ कैसे पहुँचे इसके लिए ही कार्य किया है.

कांग्रेस ने इस बार उनकी पत्नी को टिकट क्यों नही दिया? इस सवाल का जवाब देते हुए अजय पाठक ने कहा देखिए मैं और मेरी पत्नी विगत एक दशक से सिर्फ सेवा को धर्म मान कर चल रहे हैं. टिकट देना या नही देना इसका फैसला पार्टी करती है, पर हम कैसे आम जनमानस को लाभ पहुचा पाएं ये कार्य सुनिश्चित करते है और हमेशा करते रहेंगे. जहाँ तक क्यों का प्रश्न है वो तो पार्टी हाईकमान ही बता सकती है.

बाबू धाम द्वरा किये गए कार्यो का उल्लेख करते हुए अजय प्रकाश पाठक कहते है कि पूरे लॉकडाउन में हमने भोजन उपलब्ध कराए. कपड़े, दवाइयां उपलब्ध कराई और इसमें हमारी प्रतिबद्धता झलकती है.

उन्होंने कहा कि विगत एक दशक से हमने जनमानस की सेवा के लिए जितने कार्य किये है. उतना ना तो किसी सांसद या विधायक ने किए है, ना किसी निकाय ने. अपनी भविष्य की तैयारियों के सवाल पर वे कहते हैं कि हम अपनी महिला सशक्तिकरण के काम को और भी मजबूत करेंगे और युवाओ को रोजगार दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.

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