केला एनर्जी से भरपूर होता है. साथ ही ये हैप्पी हारमोंस बढ़ाने में भी मदद करता है. केले का कोई सीजन नहीं होता है. यह हर मौसम में मिल जाएंगे. लेकिन, कभी आपके दिमाग में ये सवाल आया कि आखिर केला टेढ़ा ही क्यों होता है. कभी सीधा क्यों नहीं होता है?

क्या है केले के टेढ़े होने की वजह ?

केले के घुमावदार होने के पीछे एक साइंटिफिक रीजन है. केले के फल जब निकलते हैं तो वह गुच्छे में निकलते हैं. यह कली के जैसे होते हैं, जिसमें हर पत्ते के नीचे केले का एक गुच्छा होता है. इसे देसी भाषा में हम गैल कहते हैं. इस समय केला नीचे की ओर बढ़ना शुरू करता है(यानि सीधा बढ़ता है).

एक साइंटिफिक कांसेप्ट है निगेटिव जियोट्रोपिज्म. यह थ्योरी ही बताती है कि कुछ पेड़ ऐसे होते हैं, जो सूरज की तरफ बढ़ते हैं. इसका अच्छा उदहारण सूरजमुखी है. केले के पेड़ की प्रवृत्ति भी यही है. ऐसे में केला बाद में ऊपर की तरफ बढ़ने लगता है. यही कारण है कि इसका आकार टेढ़ा हो जाता है.

केले के इतिहास की बात करें तो ये सबसे पहले रेनफारेस्ट के सेंटर में पाए गए थे. रेनफारेस्ट में सूरज की रौशनी बेहद कम पहुंचती है. ऐसे में केले के पेड़ों ने उस तरह से ग्रो करना सीख लिया था. इसलिए जब भी उन्हें सूरज की रोशनी मिलती, तो केले सूरज की तरफ बढ़ने लगते हैं. ऐसे में पहले जमीन की तरफ फिर आसमान की तरफ बढ़ने से केले का आकर टेढ़ा हो गया.

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