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बिहार में विधानसभा की 243 सीटों के लिए हो रहे चुनावों को लेकर आखिरी चरण की वोटिंग 7 तारीख को वोटिंग की जानी है. शनिवार 7 नवंबर को मतदान की समाप्ति के बाद 10 नवंबर का सभी राजनीतिक दलों को बड़ी ही बेसब्री से इंतजार होगा. लेकिन इससे पहले आखिरी चरण के मतदान के तुरंत बाद एग्जिट पोल यानि मतदान के बाद के सर्वेक्षण के नतीजे आ जाएंगे. जिसका इंतजार आम लोगों के साथ-साथ राजनीतिक दलों को भी होता है.

जानिए क्या होता है एग्जिट पोलः

चुनाव के लिए मतदान के बाद एग्जिट पोल या सर्वेक्षण, दरअसल मतदाताओं के वोट देने के तुरंत बाद ली गई प्रतिक्रिया है इससे मतदाताओं के किसी दल या नेता के प्रति वोट देने के रुझान की जानकारी मिलती है. विभिन्न चुनावों में अलग-अलग संगठन सर्वेक्षण के कई तरीकों का इस्तेमाल कर एग्जिट पोल करते हैं.

कैसे किए जाते हैं एग्जिट पोल जाने सबकुछ

एग्जिट पोल करने वाली एजेंसिया या संगठन इस तरह के सर्वे के तरीके अपनाती है. मतदान केंद्र से बाहर आने वाले वोटर या पूरे क्षेत्र के मतदाताओं से उम्मीदवारों के बारे में राय जुटाने का काम किया जाता है, इनमें सबसे प्रचलित तरीका है सैंपलिंग विधि.

चुनाव आयोग का ये है नियमः

जनप्रतिनिधि कानून 1951 की धारा 126 A के मुताबिक चुनाव के दौरान एग्जिट पोल किए जाने को लेकर स्पष्ट नियम है, इस कानून में कहा गया है कि निर्वाचन आयोग के निर्देश के तहत ही किसी भी व्यक्ति या संगठन को ऐसे एग्जिट पोल करने या उसे प्रकाशित करने का अधिकार है. यानि की बिना चुनाव आयोग की अनुमति के एग्जिट पोल नहीं किए जा सकते हैं.

इस संदर्भ में चुना आयोग भी पहले से ही ऐसे दिशानिर्देश जारी करता है. चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक बिहार चुनाव के लि होने वाले अंतिम चरण के मतदान की समाप्ति से पहले एग्जिट पोल का प्रकाशन या प्रसारण नहीं किया जा सकता है ना तो कोई समाचार एजेंसी या अखबार या टीवी चैनल या फिर बेबसाइट. एग्जिट पोल जारी कर सकते हैं इसके लिए चुनाव आयोग की ओर एग्जिट पोल के अलावा ओपेनियन पोलके लिए भी दिशानिर्देश जारी किए गए हैं.

साभारः NEWS18INDIA

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