कुख्यात अपराधी विकास दुबे के एनकाउंटर के 11 महीने के बाद भी अब भी ग्रामीणों के दिमाग में उसका भूत जिंदा है. विकास दुबे का नाम बिकरू गांव के लिए एक स्टेट्स सिम्बल की तरह हो गया है. अभी भी बिकरू गांव की पहचान विकास दुबे के नाम से होती है.
बिकरू गांव में करीब 25 साल बाद लोकतंत्र का उदय हुआ है. विकास ने 25 साल तक गांव को निर्विरोध प्रधान दिए थे. प्रधानी की डोर को विकास ने अपने पास ही रखा था.
अब नयी प्रधान का कहना है कि गांव को विकास के पथ ले जाना है तो गांव पर लगे विकास दुबे के नाम के स्टेट्स सिंबल को हटाना होगा. गांव की पहचान विकास दुबे के नाम से नहीं, बल्कि गांव की पहचान स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वच्छता में हुए विकास के नाम से हो.
नयी प्रधान जब गांव के विकास के लिए ग्रामीणों से बात करती हैं तो ग्रामीण विकास दुबे का तर्क देने लगते हैं. ग्रामीण कहते हैं कि पंडित जी ने इस विकास की योजना को इस तरह से लागू किया था. लोग बहस करने लगते हैं. प्रधान कहती हैं ग्रामीणों का जिस तरह से सहयोग मिलना चाहिए, उस तरह से सहयोग और समर्थन नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में नयी प्रधान के सामने एक बड़ी चुनौती आ खड़ी हुई है.