राजनीति की दुनिया में ये कहावत बड़ी मशहूर है कि सियासत में न तो कोई परमानेंट दोस्त होता है और न ही परमानेंट दुश्मन. राजनीति में कब कौन किससे हाथ मिलाएगा इसका अंदाजा लगाना बहुत ही मुश्किल होता है. सियासत में कभी कभी ऐसे समीकरण बन जाते हैं कि अच्छे-अच्छे राजनीतिक पंडितों के गणित भी फेल हो जाते हैं.
ऐसा ही कुछ देखने को मिला राजस्थान के डूंगरपुर के पंचायती राज चुनाव में. यहां पर बीटीपी को हराने के लिए एक दूसरे के धुर विरोधी माने जाने वाले भाजपा और कांग्रेस ने हाथ मिला लिया. जिला परिषद की 27 सीटों में से बीटीपी समर्थित 13 निर्दलीयों ने जीत हासिल की थी जबकि कांग्रेस के 6 और भाजपा के 8 उम्मीदवार जीते थे.
जिला परिषद सीट पर बीटीपी समर्थित उम्मीदवारों की ज्यादा सीटों के चलते कांग्रेस और भाजपा का जीतना मुश्किल था. भाजपा ने अपनी उम्मीदवार सूर्या अहारी को निर्दलीय के रूप में नामांकन भरवाया और बीटीपी की ओर से पार्वती ने अपना नामांकन दाखिल किया.
कांग्रेस ने भाजपा उम्मीदवार को समर्थन देने के लिए अपना कोई उम्मीदवार ही नहीं उतारा. मतदान के बाद भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार को 14 और बीटीपी उम्मीदवार को 13 वोट मिले. एक वोट से सूर्या अहारी ने जीत दर्ज कर ली.