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उत्तर प्रदेश में पांच साल की संविदा नौकरी के प्रस्ताव पर समाजवादी पार्टी ने अपना कड़ा विरोध जताया है. कहा कि बीजेपी अपने मुख्यमंत्रियों के संविदा पर रखे. इस दौरान उनके कार्यों की समीक्षा हो उसके बाद फिर उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाए.

पूर्व राज्यमंत्री और सपा नेता पवन पांडे ने कहा कि बेरोजगारों पर ये काला कानून सौंपने से पहले मेरी पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मांग है कि पहले वे अपने मुख्यमंत्रियों को संविदा पर रहना शुरु करें और हर छह महीने पर जनता उनके कार्यों को परखे. अगर वे इस समय जनता की कसौटी पर खरे उतरते हैं तो उसके बाद ही मुख्यमंत्री के तौर पर आगे के लिए रखा जाए.

पवन पांडे न सरकार पर निशाना साधा और कहा कि बीजेपी के जितने मंत्री है. उनको भी संविदा के तौर पर रखा जाए उनके भी कार्य की समीक्षा हो, जनता द्वारा उनके छह महीने के कार्यों की समीक्षा करें, अगर मुख्यमंत्री जनता के कार्यों की समीक्षा पर खरा उतरते हैं तो फिर उनको आगे उस पद पर रखा जाए.

पवन पांडे ने कहा कि यूपी सरकार का ये काला कानून ठीक नहीं है. कहा कि योगी सरकार अपना ये काला कानून बेरोजगारों पर जबर्रदस्ती थोप रही है. दरअसल जिस तरह से यूपी सरकार नौकरियों में अभ्यर्थियों को परमानेंट करने से पूर्व 5 साल संविदा पर उन्हें रखना का नौकरी में प्रस्ताव ला रही है. उसका विपक्ष ने विरोध करना शुरु कर दिया है. उनका मानना है कि ये कानून बेरोजगारों के लिए ठीक नहीं हैं और विपक्ष इसका विरोध करेंगा.

यूपी सरकार के संविदा नौकरी का विरोध होना शुरु हो गया है बेरोजगार अभ्यर्थियों ने भी इस मुद्दे पर बोलना शुरु कर दिया है.

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