कृषि कानूनों का विरोध लगातार बढ़ता ही जा रहा है. किसान बीते दो महीने से अधिक समय से दिल्ली से सटी सीमाओं पर बैठे हुए हैं और सरकार से तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं. किसानों के आंदोलन को विपक्षी दलों के अलावा सत्ताधारी दल बीजेपी के भी कई नेताओं का समर्थन मिल रहा है.

किसान आंदोलन के समर्थन में एनडीए के कई घटक दल अलग हो चुके हैं, कई भाजपा नेताओं ने भी पार्टी छोड़ दी है. हरियाणा के बीजेपी नेता और पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रामपाल माजरा ने किसानों के समर्थन में पार्टी छोड़ने का एलान कर दिया. उन्होंने चंडीगढ़ में प्रेस कांफ्रेंस कर ये घोषणा की. इससे पहले हरियाणा में अभय सिंह चौटाला भी किसानों के समर्थन में आकर इस्तीफा दे चुके हैं.

भाजपा नेता रामपाल माजरा ने अपनी ही पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये सरकार खुद को राष्ट्रवादी बताती है लेकिन ये देश की शान और मर्यादा को कायम रखने में नाकामयाब साबित हुई.

उन्होंने लाल किले की घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि ये घटना किसानों को बदनाम करने के लिए पहले से ही सुनियोजित चाल थी.

रामपाल ने कहा कि बीते कई महीने से किसान आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन भाजपा सरकार उनकी समस्याओं को हल करने में नाकाम साबित हुई. मैं ऐसी पार्टी से अपना रिश्ता नहीं रखना चाहता. उन्होंने कहा कि आज मैने भारतीय जनता पार्टी छोड़ दी है, बहुत जल्द अन्य नेता भी बीजेपी का साथ छोड़ देंगे.

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