बिकरु कांड के छह माह बीतने के बाद भी अभी तक गांव में पहले जैसी रौनक नजर नहीं आ रही है. गांव में किसान हो या नौकरी-पेशा करने वाले लोग वो अपने काम से काम मतलब रख रहे हैं. इसके पीछे विकास दुबे के बाद उसके गुर्गों का खौफ हो या पुलिस की कार्रवाई का असर, कारण चाहे कोई भी हो ये तो साफ है कि इस घटना के बाद भी अभी इस गांव का कोई शख्स किसी भी तरह की बात नहीं करना चाहता.

2 जुलाई 2020 की रात बिकरु गांव में विकास दुबे और उसके गुर्गों द्वारा जिस घटना को अंजाम दिया गया. आज भी गांव के लोग उस घटना को भूले नहीं है. आज भी गांव के लोगों के अंदर दहशत व्याप्त है. रुह कंपा देने वाली इस घटना के कुछ दिनों बाद ही पुलिस ने विकास दुबे और उसके कुछ साथियों को मार गिराया था लेकिन इसके बाद भी गांवके लोगों के अंदर विकास दुबे का खौफ अभी भी है.

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घटना के बाद पुलिस द्वारा ग्रामीणों से की गई तमाम पूछताछ का भी असर है कि गांव का कोई भी व्यक्ति अब इस घटना को लेकर बातचीत नहीं करना चाहता है. तमाम कुरेदने के बाद भी गांव के लोग खुलकर अपनी बात को नहीं कह पा रहे हैं.

घटना अथवा उसके बाद की गई कार्रवाई के बाबत किसी भी तरह की जानकारी पर ग्रामीण अभी भी चुप्पी साध लेते हैं. दबी जुबान से कुछ ग्रामीणों ने बताया कि विकास दुबे से संबंधित किसी भी बात करने का मतलब खुद को मुश्किल में डा़लना है. घटना में अभी अनगिनत लोग शामिल किए जा चुके हैं ऐसे में चुप रहना ही भलाई है.

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