सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगा दी है. साथ ही एक कमेटी का गठन किया है. यह कमेटी सरकार और किसानों के बीच के विवाद को समझेगी और सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट सौंप देगी. हालांकि अदालत के इस फैसले के बाद भी किसान खुश नहीं हैं. उनका कहना है कि सरकार अदालत की बात मानती ही नहीं है.
गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार किसी न्यायालय के फैसले को नहीं मानती. उन्हें पूरा यकीन है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाया गया यह फैसला भी ये सरकार नहीं मानेगी. कहा कि जब तक कृषि कानूनों को संसद में रद्द नहीं किया जाता और एमएसपी पर कानून नहीं बन जाता वह यहां से हिल नहीं सकते.
किसानों ने कहा कि वह अपने खेतों की नहीं बल्कि अपनी नस्लों को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. आखिर कब तक किसानों का शोषण होता रहेगा. किसान हाड़तोड़ मेहनत कर अन्न पैदा करे और मुनाफा बिचौलिए कमाएं. अब ऐसा नहीं होगा, किसान इस बार अपना हक़ वापस लेकर ही दिल्ली से जाएंगे.
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि देश के किसान सुप्रीम कोर्ट के फैसले से निराश हैं. अदालत ने जिन अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में कमेटी बनाकर किसानों से बातचीत करने को कहा है, उन्होंने कृषि कानूनों को लागू करने की सिफारिश की थी. इस कमेटी में शामिल सभी सदस्य खुली बाजार व्यवस्था व कानून के समर्थक हैं. किसानों की मांग कानून को रद्द कराने व एमएसपी को कानून बनाने की है. जब तक यह मांग पूरी नहीं होगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा.