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अक्सर देखा जाता है कि जब किसी व्यक्ति के जीवन में काम बनते और बिगड़ते हुए दिखाई देते हैं जब उसको मेहनत के अनुरुप सफलता नहीं मिलती है तो वो टूटने लगता है और अपने भाग्य को दोष देने लगता है. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो विश्वास रखते हैं कि अगर मेरे भाग्य में समस्याएं ही लिखी हैं तो मैं अपनी मेहनत और द्रढ़संकल्प के बल पर उन समस्याओं को पराजित कर अपने हिस्से की खुशियों को भाग्य बदलकर छीन लूंगा.

इस प्रकार के व्यक्तित्व नवजीवन विजय पवार जिन्होंने ये कर दिखाया है. और आज वो आईएएस अधिकारी हैं उन्होंने साल 2018 की यूपीएससी परीक्षा में आलओवर 316 वीं रैंक हासिल की और भाग्य को अंगूठा दिखा दिया. लेकिन आईएएस बनने से कुछ दिन पहले तक उनकी जिंदगी में समस्याओं का जखीरा था, जो समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा था.

गौरतलब है कि नवजीवन महाराष्ट्र के नासिक जिले के एक छोटे से गांव से ताल्लुकात रखते हैं. उनके पिता किसान है, अपने पिता के साथ नवजीवन खेती में हाथ बंटाया रते थे. नवजीवन की मां प्राइमरी स्कूल में अध्यापक हैं, घर में पढ़ाई लिखाई का माहौल था, नवजीवन में पढाई लिखाई में काफी होशियार थे. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव से ही की, दसवीं और 12 वीं अच्छे अंकों से उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने महाराष्ट्र के एक इंजीनियरिंग कालेज में दाखिला मिला.

यहां से उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक किया. स्नातक करने के बाद अपने सपने को पूरा करने के लिए वो दिल्ली की तंग गलियों में आ गए. इस दौरान उन्होंने कोचिंग को ज्वाइन किया और तन-मन के साथ परीक्षा की तैयारी में लग गए. असल जिंदगी में उनके लिए यही संघर्ष का समय था, उन्होंने पहले से ही परीक्षा का पैटर्न और जरुरी बातों को समझ लिया था. इससे उनको पहले से ही यकीन हो गया था कि वे यूपीएससी परीक्षा को निकाल लेंगे.

इस दौरान उन्होंने परीक्षा दी और प्री क्लियर भी हो गया. लेकिन इसके बाद अचानक उनके स्वास्थ्य में गिरावट देखने को मिली, मुख्य परीक्षा के एक महीने पहले ही वो अस्पताल में भर्ती हो गए. उन्हें इस दौरान डेंगू हो गया, वो अभी डेंगू से उबर ही पाए थे कि डायरिया हो गया. इसके बाद उनका मोबाईल भी चोरी हो गया, इतनी सारी घटनाओं के एक साथ होने के कारण कोचिंग टीचर उन्हें ज्योतिषी के पास लेकर गया.

इस दौरान ज्योतिषी ने बोला कि तुम 27 साल के पहले कामयाब नहीं हो सकते. तुम दिल्ली टाइमपास करने आये हो. ज्योतिषी की ये बात नवजीवन के दिमाग में बैठ गई औऱ वो तनाव में रहने लगा, फिर उनके दोस्तों ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं होता है. दोस्तों ने इस दौरान हौसला बढ़ाया.

नवजीवन ने भी सोचा कि अगर यहां तक आ गए हैं तो अगर हारना ही है पूरी ताकत के साथ लड़कर हारा जाएगा, इस दौरान उन्होंने मुख्य परीक्षा की तैयारी की. और पास कर लिया. इस तरह उन्होंने ज्योतिषी की बात को झूठ साबित कर दिया.

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