बलबीर पेशे से ड्राइवर थे. वे एक होटल में गाड़ी चलाते थे. महामारी के दौरान नौकरी चली गई. केंद्र सरकार की ओर से लाकडाउन भी लगा दिया. लेकिन बलबीर को पीएम नरेंद्र मोदी की एक बात याद रही कि आपदा में अवसर तलाशो. ज्यों ही लाकतडाउन खुला बलबीर ने अपनी उसी स्कूटी को ही ढाबा बना दिया. जिस स्कूटर से वो नौकरी करने जाते थे. उससे उन्होंने गुड़गां की सड़कों पर बलबीर ने खाना बेचने का काम शुरु कर दिया.
इस दौरान उन्होंने शुरुआत 20 लोगों के खाने से की. कुछ दिनों बाद ही 20 लोगों का खाना जल्द ही बिकने लगा. उसके बाद बलबीर ने खाने की मात्रा और बढ़ा दी. देखते ही देखते आज हालात ये हो गए हैं बलबीर का बनाया हुआ राजमा-चावल और छोले-कढ़ी देखते ही देखते समाप्त हो जाते हैं. बलबीर इस दौरान खुद तो काम में जुटे हुए हैं
इसके साथ ही अपने एक बेरोजगार दोस्त को भी इस काम में लगा लिया है. अब दोनों लोग रोजाना कढ़ी-चावल, राजमा-चावल जैसे ही अलग-अलग पकवान बेच रहे हैं और अच्छे से अपना घर चला रहे हैं. बलबीर ने अपने खाने का रेटे 20 रुपये से 50 रुपये के बीच में रखा है.
उनका मकसद है कि इस रेट में हर जरुरतमंद उनके यहां खाना खा सके. बलबीर कहते हैं वाहे गुरु की कृपा से अब धंधा चल निकला है अब अगर हालात सामान्य होते हैं और नौकरी कहीं लगती है तब भी वो कहीं नौकरी करने जाएंगे. अपने इसी धंधे को आगे बढ़ाएंगे.