उत्तर प्रदेश में इस वक्त पचायत चुनाव को लेकर तैयारियां तेज हैं. 25 दिसंबर से प्रदेश में 58 हजार से भी ज्यादा ग्राम पंचायतों का कार्यकाल ख़त्म हो चुका है. वोटर लिस्ट, आरक्षण सूची और परसीमन का काम अंतिम चरण हैं. संभावना जनवरी के अंतिम सप्ताह या फरवरी के प्रथम सप्ताह में चुनाव की अधिसूचना जारी हो जाए.

इस बीच आए योगी सरकार के नए फैसले से मौजूदा ग्राम प्रधान सांसत में हैं. उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि वह आने वाला चुनाव लड़ भी पाएंगे या नहीं.

दरअसल, ग्राम प्रधानों ने सरकारी पैसो को कहां-कितना इस्तेमाल किया है. इसकी जांच शुरू होने वाली है. अगर इसमें गड़बड़ी पायी जाती है, तो मौजूदा ग्राम प्रधानों के इस बार चुनाव लड़ने पर सवाल खड़े हो सकते हैं. जिला पंचायत अधिकारी टीम बनाकर जांच करेंगे कि प्रधानों ने पैसे को कहां और कितना इस्तेमाल किया है.

ग्राम प्रधानों के कार्यकाल के दौरान कितनी धनराशी आवंटित की गयी और कितनी धनराशि निकालकर, उस पैसे से कितना विकास कार्य कराया गया. मुख्यालय से आदेश जारी किया गया है कि भौतिक सत्यापन रिपोर्ट मिलने के बाद यदि किसी प्रकार की अनिमियतता पायी जाती है तो सम्बंधित ग्राम प्रधान के खिलाफ कार्रवाई की जाए.

प्रदेश का पंचायती राज विभाग जनवरी के अंतिम सप्ताह या फरवरी के प्रथम सप्ताह में चुनाव का कार्यक्रम जारी कर सकत है.

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