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जिंदगी में आने वाली मुसीबतों के बाद इंसान उन मुसीबतों से किस प्रकार निकलता है. कभी-कभी इंसान मुसीबतों से हार जाता है लेकिन कोई-कोई अपनी लगनशीलता से मुसीबतों को हरा देता है. ऐसे ही उदाहरणों में से एक कोमल गनात्रा है जो कि एक आईएएस अफसर है. एक समय था जब वो भी आम लड़कियों की तरह जिंदगी जी रही थी.

पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने एनआरआई से शादी की, एनआरआई पति से वो बेशुमार प्यार करती थी लेकिन शादी के महज 15 दिन बाद ही पति छोड़कर विदेश चला गया जिसके बाद कभी लौटकर नहीं आया. काफी ढू़ढ़ने का प्रयास किया लेकिन पति का कहीं पता नहीं चला.

इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और आईएएस की पढ़ाई की और जब तक उन्होंने अपने मुकाम को हासिल नहीं कर लिया तब तक उन्होंने हार नहीं मानी.

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ये थी स्टोरीः

मूलरुप से गुजरात की रहने वाली कोमल ने साल 2012 में यूपीएससी की परीक्षा को पास किया. उन्होंने जिन हालातों में परीक्षा की तैयारी की ऐसे हालातों में लोग जिंदगी जीना तक छोड़ देते हैं लेकिन उन्होंने आगे बढ़ने के लिए सोची. ये स्टोरी सिविल सेवा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए प्रेरणा है.

बल्कि अपने आप में महिला सशक्तिकरण की मिसाल है. कोमल शुरुआत से ही पढ़ाई में अच्छी थी, उनके घर में शुरुआत से ही पढ़ाई का माहौल था क्योंकि उनके पिता टीचर थे. कोमल ने स्नातक की पढ़ाई के बाद सिविल सेवा की परीक्षा दी वो इसमें पास भी हो गई, पति के कहने पर साक्षात्कार नहीं दिया.

शादी के 15 दिन बाद ही कोमल के पति न्यूजीलैंड वापस चले गए और फिर लौटकर वापस नहीं आए. कोमल ने इस दौरान बहुत पति का पता लगाने की कोशिश की लेकिन वो कोशिश में कामयाब नहीं हुई. इस पर वो आज कहती हैं कि किसी इंसान के पीछे भागने से और इसे अपनी जिंदगी का मकसद बना देना लड़कियों के लिए एक बड़ी गलती है.

कोमल का कहना है कि इस घटना के बाद उन्होंने सीख लिया कि एक औरत की पहचान उसके पति से नहीं बल्कि खुद की कामयाबी से होती है. कहा कि शादी इंसान को सम्पूर्ण नहीं बनाती बल्कि उसका करियर ही उसे आत्मसम्मान दिलाता है और संपूर्ण बनाता है.

कोमल ने यहां से नई जिंदगी शुरु करने की ओर कदम बढ़ाए, हालांकि ये किसी भी लड़की के लिए आसान काम नहीं होता, और वो औरत जिसका पति शादी के बाद ही उसको छोड़कर चला गया हो.

ऐसे में माता पिता की ओर से भी ज्यादा सहयोग नहीं मिला. और समाज के ताने भी हर समय सुनने को मिलते थे. वो बताती है कि उन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए हजार रुपये महीने की नौकरी से शुरुआत की इस नौकरी के द्धारा ही पढाई की और 3 असफल प्रयासों के बाद साल 2012 में उन्हें सफलता मिली.

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