सरसों के तेल की कीमतें बीते दिनों लगातार बढ़ी हैं. जिस वजह से यह चर्चा में बना रहा है. इस बीच अब कच्ची घानी का तेल को लेकर विवाद छिड़ गया है. ज्यादातर घरों में सरसों का तेल खाने की चीजों में इस्तेमाल होता है. ऐसे में आपने कच्ची घानी सरसों का तेल जरुर सुना होगा.

दरअसल, विवाद ये खड़ा हुआ कि कंपनियां कच्ची घानी तेल पैकेट पर लिखकर भ्रामक प्रचार कर रही हैं. सामने तो कच्ची घानी तेल लिखा होता है लेकिन पीछे लिखते हैं कि यह सिर्फ एक ब्रांड का नाम है. यह इस तेल की प्रकृति को नहीं दर्शाता है.

क्या है कच्ची घानी?

अलग-अलग तिलहनों जैसे- सरसों, तेल, राय से कच्ची घानी का तेल तैयार किया जा सकता है. कच्ची घानी के तेल में महक बहुत तेज होती है. यह कुछ ज्यादा चिपचिपा लगता है. तिलहनों को बेहद कम तापमान पर, अधिक देर तक गर्म कर कच्ची घानी का तेल तैयार किया जाता है. कम तापमान में गर्म किए जाने से इसके पोषक तत्व बने रहते हैं. इस वजह से ये ज्यादा फायदेमंद माना जाता है.

कच्ची घानी तेल में ओमेगा और फैटी एसिड्स अच्छी मात्रा में बने रहते हैं. ओमेगा आँखों के लिए अच्छा रहता है. जबकि फैटी एसिड्स को भी उचित मात्रा में शरीर के लिए अच्छा माना जाता है.

दो तरीके से निकलता तिलहन का तेल 

आयल एक्सपेलर और कोल्ड प्रेस मशीन. इन दो तरह की मशीनों से तिलहन का तेल निकाला जाता है. आयल एक्सपेलर में तेजी से तेल निकलता है. इसमें बीज को तपाया जाता है. जिस वजह से निकलने वाले तेल की कुछ मात्रा बढ़ जाती है. लेकिन इसमें समस्या ये है कि तेल से पौष्टिक तत्व समाप्त हो जाते हैं.

कोल्ड प्रेस मशीन में बीज को धीरे-धीरे कम ताप पर तपाया जाता है. इसमें तेल पेरने वाला हिस्सा लकड़ी का बना होता है. यह करीब कोल्हू की तरह काम करता है. कोल्ड प्रेस मशीन से नीलने वाले तेल की मात्रा कुछ कम हो सकती है. जिस वजह से इसमें पौष्टिक तत्व बने रहते हैं. इसे ही कच्ची घानी का तेल कहते हैं. ज्यादा बीज से कम तेल तैयार होने के कारण कच्ची घानी का तेल महंगा रहता है.

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