मकर संक्रांति का त्यौहार अपने अपने तरह से देशभर में मनाया जाता है. अलग-अलग क्षेत्रों में परंपराएं और मान्यताएं भी अलग अलग हैं. ब्रज में ऐसी एक परंपरा चली आ रही है कि मकर संक्रांति के दिन सास रूठ कर घर से चली जाती है तो बहू उन्हें मनाने जाती है और उपहार भी देती है.
ब्रज के जानकार बताते हैं कि मकर संक्रांति के दिन ये परंपरा चली आ रही है कि सास अपनी बहू से गुस्सा होकर घर निकल जाती है और पड़ोसी के घर, गांव के कुएं या फिर गांव से शहर जाने वाले रास्ते पर बैठ जाती है.
इसके बाद बहू अपनी हमउम्र की महिलाओं के साथ लोटे में जल, नए कपड़े, श्रंगार का सामान, तिलकुट, गजक, रेबड़ी आदि सामान लेकर सास को ढूंढने निकल पड़ती हैं. ये सभी महिलाएं रास्तें में जाते समय गीत भी गाती हैं.
सास के पास पहुंचने के बाद बहू उनका पैर पकड़कर माफी मांगती है और उनको उपहार देती है. थोड़ी मान मनौव्वल के बाद सास अपनी बहू को गले लगाकर माफ कर देती है और उसके द्वारा दिए गए उपहारों के साथ खुशी खुशी घर वापस लौट आती है.
ये परंपरा ब्रज के अधिकांश गांवों में आज भी मनाई जाती है. कहीं कहीं पर सास और ससुर दोनों को मनाने का चलन है. ये गुस्सा सच में नहीं बल्कि प्रतीक स्वरूप होता है.