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लोकसभा चुनाव के बाद परिणामों के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने सपा के कोर वोटरों पर बड़ा आरोप लगाते हुए गठबंधन से किनारा कर लिया. तबसे ही समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एकला चलो के रास्ते को अपना लिया और उसी पर चलने का दावा कर रहे हैं.

हाल के ही दिनों में उन्होंने कहा कि अब हमारा किसी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं होगा. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि हमें अकेले ही चुनाव लड़ना चाहिए.

संगठन में होगी सबकी भागीदारीः

इसी के तहत समाजवादी पार्टी संगठन को नए सिरे से गठन करने में जुट गई है. इस लिहाज से जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक कार्यकारिणी का गठन किया जाना है. लिहाजा सपा में कई युवा चेहरों को कार्यकारिणी में जगह दी जा सकती है. लगभग एक तिहाई जिलाध्यक्षों की छुट्टी संभव है.

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2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव और सत्ता में वापसी को लेकर नए सिरे से संगठन को गढ़ा जाएगा. कहा कि इस बीच के समय में पार्टी जनसमस्याओं पर ज्यादा से ज्यादा जोर देगी.

गत चुनावों में बेहतर प्रर्दशन न करने वाले पदाधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. नए चेहरों में युवा वर्ग को वरीयता दी जाएगी, जिससे वह संगठन को मजबूत बनाने के लिए कदम उठा सके.

दलितों को जोड़ा जाएगा पार्टी, दी जाएगी तरजीहः

वहीं बसपा से गठबंधन टूटने के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव का दलित प्रेम उजागर हो गया, वह पिछड़ों को साथ में लेकर चलने के साथ दलितों को भी साथ लेकर चलना चाहते हैं तभी वह कई दलित नेताओं को सपा में शामिल कराकर उनको संगठन में जगह देकर सम्मान दे सकते हैं.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उपचुनाव के परिणाम के बाद सपा मुखिया अखिलेश संगठन की घोषणा कर सकते हैं, इसमें दलित वर्ग के लोगों को वरीयता दी जाएगी.

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