आईएएस और आईपीएस बनना हर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र का सपना होता है मगर बहुत कम छात्र ही अपने इस सपने को पूरे कर पाते हैं. ऐसी ही कहानी है आईपीएस नूरूल हसन की. वो बेहद गरीबी में पले लेकिन तमाम दिक्कतों के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अंत में अपना सपना पूरा करके ही दम लिया.

उनकी कहानी आज भी उन युवाओं के लिए प्रेरणा है जो संसाधनों के आभाव का रोना रोते हैं और अपनी पढ़ाई को बीच में ही छोड़ देते हैं. उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के रहने वाले नूरूल हसन के पिता बरेली में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी थे तक उन्होंने दसवीं की परीक्षा पास की.

उनके पिताजी ने मलिन बस्ती में एक छोटा सा कमरा किराए पर लिया और वहीं पर अपने बेटे का एडमिशन ग्यारहवी क्लास में करवा दिया. उन्होंने 11वी और 12वीं की परीक्षा पास की, बात जब बीटेक करने की आई तो उनके पास उसके लिए पैसे नहीं थे, अपने बेटे को पढ़ाने के लिए उनके पिता ने अपनी गांव की एक जमीन को बेच दिया और उनकी फीस भर दी.

इसके बाद उन्होंने एक कमरे का घर खरीदा और किराए के मकान से छुटकारा पाया. बीटेक करने के बाद उन्होंने एक कंपनी में नौकरी कर ली ताकि अपनी पढ़ाई का खर्चा उठा सकें और घर की जिम्मेदारी में भी हाथ बटा सकें. यहां काम करने के दौरान ही उन्होंने एक परीक्षा पास की और वन क्लास ऑफीसर बन गए.

लेकिन उनके दिमाग में आईएएस या आईपीएस बनना चल रहा था. वो लगातार यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करते रहे, कोचिंग की फीस ज्यादा होने की वजह से वो खुद से ही पढ़ाई करने लगे. अंत में वो दिन आ ही गया जब उन्होंने परीक्षा और इंटरव्यू दोनों पास किया और आईपीएस अधिकारी बन गए.

उनकी गिनती बेहद ईमानदार आईपीएस अधिकारियों में की जाती है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी उनकी ईमानदारी की तारीफ खुले मंच से कर चुके हैं.

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