दुनिया के अंत को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं. क्या प्रलय आने से संसार समाप्त हो जाएगा? अगर प्रलय आएगी तो कब आएगी? उसके बाद इंसान का क्या होगा? इस तरह के सवाल लोगों के मन में आते रहते हैं. इन सवालों का जवाब देती है उत्तराखंड की एक गुफा. जिसमें छिपा है दुनिया के अंत का राज. इस गुफा को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. अंदर बनी आकृतियों को देखकर लोग हैरान रह जाते हैं. गुफा का नाम है पाताल भुवनेश्वर गुफा.

मंदिर के अंदर है गुफा

इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि सूर्य वंश के राजा और त्रेता युग में अयोध्या पर शासन करने वाले राजा ऋतुपर्ण ने इस गुफा की खोज की थी. जिसके बाद उन्हें यहाँ नागों के राजा अधिशेष मिले थे. ऐसा कहा जाता है कि इंसानों द्वारा मंदिर की खोज करने वाले राजा ऋतुपर्ण पहले व्यक्ति थे. अधिशेष ऋतुपर्ण को गुफा के अंदर ले गए, जहां उन्हें देवी देवताओं के साथ-साथ भगवान शिव के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.

कहा जाता है कि फिर द्वापर युग में पांडवों द्वारा इस गुफा को ढूँढा गया. जहां वे इस गुफा के पास भगवान की पूजा करते थे. स्कंदपुराण में उल्लेख है कि खुद महादेव शिव पाताल भुवनेश्वर में रहते हैं और अन्य देवी देवता उनकी यहाँ पूजा करने आते हैं. पौराणिक कथाओं के मुताबिक़ कलियुग में मंदिर की खोज जगदगुरु आदि शंकराचार्य ने आठवीं शताब्दी में की थी, जहां उन्होंने यहाँ ताँबे का शिवलिंग स्थापित किया था.

मंदिर में जाने से पहले मेजर समीर कटवाल के मेमोरियल से होकर जाना पड़ता है. कुछ दूरी तक चलने के बाद ग्रिल गेट दिखेगा, जहां से पाताल भुवनेश्वर मंदिर की शुरुआत होती है. ये गुफा 90 फ़ीट नीचे है. जहां बेहद ही पतले रास्ते से होकर मंदिर तक प्रवेश किया जाता है. चट्टानों की कलाकृति देखने को मिलेगी जो नागों के राजा अधिशेष को दर्शाती हैं. ऐसा कहा जाता है कि अधिशेष ने अपने सिर पर दुनिया का भार संभाला हुआ है.

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