दबिश के दौरान विकास दुबे और उसके साथियों के द्वारा 8 पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया था. हालांकि इसके बाद पुलिस एनकाउंटर में 10 जुलाई को विकास दुबे भी मारा गया था. तकरीबन एक साल बीतने के बाद विकास दुबे पुलिसिया रिकार्ड में आज भी जिंदा है. शिवली थाने में आज भी विकास दुबे के नाम के पोस्टर फरार आरोपियों के तौर आज भी लगे हुए हैं. जबकि सच ये है कि विकास दुबे के साथी या मारे गए हैं या तो जेल में हैं.

अभी तक नहीं बना है डेथ सार्टिफिकेटः

पुलिस एनकाउंटर में मारे गए अपराधी विकास दुबे का एक साल बाद भी डेछ सार्टिफिकेट नहीं बना है. उसके पिता का नाम पोस्टमार्टम की पर्ची में गलत होने से अंतिम संस्कार की पर्ची में भी गलत नाम चढ़ा है. इस वजह से नगर निगम की ओर से भी डेथ सार्टिफिकेट बनाने से मना कर दिया. एनकाउंटर में विकास दुबे के मारे जाने के बाद उसका पोस्टमार्टम कराया गया.

पोस्टमार्टम में पिता का नाम रामकुमार की जगह राजकुमार दर्ज हो गया. इसके कारण श्मशान घाट की अंतिम संस्कार की पर्ची में भी यही नाम चढ़ गया. उस पर्ची के आधार पर ही नगर निगम में डेथ सार्टिफिकेट बनता है. नगर निगम में जब रिकार्ड देखा तो पर्ची और रिकार्ड में दर्ज नाम मैच नहीं किया. इससे सार्टिफिकेट बनाने से मना कर दिया. विकास की पत्नी ऋचा दुबे ने इस खामी को ठीक करने के लिए नीचे से ऊपर तक के सभी अधिकारियों से संपर्क किया लेकिन आज तक कुछ नहीं हो सका.

 

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