अक्सर हम लोग ट्रेन से सफर करते हैं तो आपको पटरी के किनारे-किनारे एक एल्युमिनियम बाक्स जरुर दिखाई देता होगा. इस बाक्स को देखने के बाद आपके मन में ये सवाल जरुर आया होगा कि आखिर इस बक्से का क्या काम होता है. आज हम आपको इसकी उपयोगिता के बारे में बताएंगे?
गौरतलब है कि इस बाक्स का इस्तेमाल रेलवे यात्रियों की सुरक्षा के लिए करता है. रेलवे की भाषा में इसे एक्सल काउंटर बाक्स कहा जाता है. इसे 3 से 5 किलोमीटर की दूरी पर लगाया जाता है. इसके अंदर एक स्टोरेज डिवाइस होता है जो सीधे ट्रेन की पटरी से जुडा होता है. इसके नाम से ही प्रतीत हो रहा है कि ये एक्सल का काउंट करता है एक्सल ट्रेन में दो पहियों को जोड़कर रखता है और ये डिवाइस उसी का काउंट करता है.
रेलवे इस बाक्स के माध्यम से हर 5 किलोमीटर पर एक्सल की गिनती करता है ताकि इस बारे में पता लगाया जा सके कि जितने पहियों के साथ ट्रेन स्टेशन से निकली थी, आगे भी उसमें उतने हैं या नहीं.
माना कि अगर किसी ट्रेन के साथ यात्रा के दौरान कोई हादसा हो जाता है और इसके एक या दो डिब्बे ट्रेन से अलग हो जाते है तो ये एक्सल काउंट बाक्स आसानी से गिनती करते बता देता है कि ट्रेन के कोच कम हैं जबकि ट्रेन स्टेशन से निकली थी तब इसमें पूरे कोच लगे थे, इस तरह रेलवे को हादसे की जानकारी मिल जाती है.
3 या 5 किलोमीटर की दूर पर इस बाक्स को इसलिए लगाया जाता है ताकि एग्जैक्ट कहां से ये डिब्बे अलग हुए हैं उसका भी पता लगाया जा सके. इस बाक्स के जरिए रेलवे को हादसे के बाद कार्रवाई करने में काफी मदद मिलती है जैसे ही ट्रेन एक्सल काउंटर बाक्स के सामने से गुजरती है उसमें ट्रेन के एक्सल के बारे में सारी जानकारी दर्ज हो जाती है और फिर अगले बाक्स में भेज दिया जाता है कि इस ट्रेन में कितने एक्सल लगे हैं.
अगर एक्सल की संख्या पिछले एक्सल काउंटर बाक्स से मैच नहीं खाता है तो आगे वाला एक्सल काउंटर बाक्स ट्रेन के सिग्नल को रेड रेड कर देता है. ऐसे में ड्राइवर ट्रेन को रोक देता है. ये बाक्स एक्सल काउंट के अलावा ट्रेन की गति और दिशा भी बताता है, बाक्स को पटरी में लगे एक डिवाइस से जोड़ा जाता है. इस डिवाइस को आप सेंसर भी कह सकते हैं. जो ट्रेन के एक्सेल को काउंट करता है और बाक्स तक उसकी जानकारी पहुंचाता है.