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बिहार के किशनगंज के बहादुरगंज प्रखंड में एक ऐसा गांव हैं, जहां कोई बारात लेकर नहीं जाना चाहता है. ये गांव बहादुरगंज प्रखंड में खाड़ी टोला गांव है, इस गांव में लड़कियों के लिए कोई रिश्ता लेकर नहीं जाना चाहता है. इस गांव में ब्याह की डोली बहुत ही मुश्किल उठती है.

गौरतलब है कि इस गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं हैं, गांव तक पहुंचने के लिए अब तक नदी के ऊपर पुल नहीं बना है. उबड़-खाबड़ पानी भरे कच्चे और फिसलन भरे रास्तों से चलना पड़ता है. आजादी के बाद से ही ग्रामीण पुल और सड़क बनाने की बात कर रहे हैं, लेकिन अब तक ये नहीं हो पाया है. ऐसे में अगर देखा जाए तो लड़के बाहर जाकर शादी करते आ रहे हैं.

लेकिन अब तक ये नहीं बन पाया है. इसलिए उनकी शादी तो इस दौरान हो जाती है लेकिन ये भी अब उतनी आसान नहीं रह गई. क्योंकि लड़की वालों को जब मालूम पडता है कि उनकी बेटी का विवाह ऐसे गांव में हो रहा है जहां जाना और आना मुश्किल है तो वो भी इस गांव में लडकी नहीं देना चाहते हैं.

जानकारी के मुताबिक विकास के अभाव में यहां के बेटियों की जिंदगी नरक बन गई है, लड़कियों की उम्र समय के साथ-साथ ढल रही है. हालांकि गांव की लड़कियां पढ़ना चाहती हैं, वो पढ़ लिखकर डाक्टर और शिक्षिका बनकर अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती हैं, लेकिन इस गांव की बच्चियां मिडिल स्कूल के बाद पढ़ाई छोड़ चुकी हैं. क्योंकि आगे की पढाई के लिए स्कूल काफी दूर है. हाईस्कूल तक जाने के लिए ना ही सड़क और ना ही पुल है.

ऐसे में देखा जाए तो भले ही आज दुनिया चंद्रमा में जीवन तलाश कर रही हो लेकिन किशनगंज का खाड़ी टोला गांव विकास के अभाव में ग्रामीणों के लिए अभिशाप बना हुआ है. जिसके कारण लोग यहां रिश्ता करने से घबराते हैं जिससे युवक-युवतियों का जीवन भी नरक हो रहा है ऐसे में विकास की किरण इस गांव में कब तक पहुंचेगी ये तो देखने वाली बात है.

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