हौसले बुलंद और इरादे मज़बूत हो तो किसी भी लक्ष्य तक पहुँचा जा सकता है. फिर चाहे तन में कोई कमजोरी हो या धन की कमी. कड़ी मेहनत और मज़बूत इरादों के सामने हर बाधा बौनी नज़र आने लगती है. राजस्थान के दौसा ज़िले रवि मीणा इसकी जीती जागती मिसाल है. बचपन से दोनों पैरों से दिव्यांग रवि ने माध्यमिक बोर्ड परीक्षा के रिज़ल्ट में 100 प्रतिशत अंक प्राप्त कर साबित कर दिया कि दौड़ने के लिए पैरों की ज़रूरत नहीं होती.

हौसलों के पंख से भी इंसान सफलता रूपी उड़ान भर सकता है. दिव्यांग रवि ने कक्षा 10 में 86 प्रतिशत अंकों के बाद कक्षा 12 में 100 प्रतिशत अंक प्राप्त कर कीर्तिमान स्थापित किया है. सभी सब्जेक्ट में 100 अंक प्राप्त किए हैं.

रवि के पिता किसान हैं, माँ गृहणी. विपरीत हालात का सामना करते हुए रवि ना सिर्फ़ प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा बने हैं. रवि प्रशासनिक सेवा में जाने का सपना रखते हैं. उनका कहना है कि प्रशासनिक सेवा में चयनित होकर समाज के दुर्बल व कमजोर वर्ग के लोगों के विकास के लिए काम कर देश के विकास व सेवा में योगदान देना चाहते है.

रवि पैरों से चलने में पूरी तरह असमर्थ है, लेकिन एक बार राह दिखाने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए ट्राईसाइकिल भाता और एस्कॉर्ट भत्ता भी दिया गया.

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