माता-पिता अपने बेटे या बेटी के लिए दिन रात मेहनत कर उनके सपनों को पूरा करने के लिए जद्दोजहद करते रहते हैं. ऐसी ही एक स्टोरी हम आपको बताने जा रहे हैं जिसमें एक मां ने अपने बेटे को मुकाम पर पहुंचाने के लिए क्या नहीं किया, बेटे को सफल बनाने के लिए उसने हरसंभव वो प्रयास किया जो उसके द्वारा किया जा सकता था.
हिमांचल के चंबा जिला के चुराह घाटी की पंचायत बघेईगढ़ के गांव कुंणगा की बहादुर महिला खूब देई की है ये कहानी. खूब देई ने अपने बेटों की परवरिश के लिए ना तो तपती धूप देखी और ना ही पांव के छाले देखे. कभी भी उन्होंने हौसला नहीं टूटने नहीं दिया. घोड़ा-खच्चर हांक कर बेटे को भारतीय सेना के फौज की वर्दी पहना दी.
ऐसी मां को सलाम
गौरतलब है कि बात करीब 12 साल पहले की है खूब देई के दो बेटे एक बेटा 12 साल का और दूसरा बेटा नौ साल का था. इस समय ही खूब देई के पति को किसी मामले में जेल हो गई. अब पूरे परिवार का बोझ उसके कंधो पर आ गया. खूब देई ने तय कर लिया था कि जिस गरीबी को उसने देखा उसके बच्चे ना देखे. बच्चों को दूर के स्कूल में दाखिला दिलवा दिया.
इस दौरान खूब देई ने निश्चय किया कि वो घोड़ा चलाकर बच्चो को पढाएगी. एक महिला के लिए घोड़ा चलाना कष्टदायक था इसके साथ ही उसको समाज के ताने भी सुनने पड़ते थे. लेकिन उसने ना तो समाज के तानों की परवाह की और ना ही अपने कष्ट की. घर पहुंचने के लिए खूब देई को रोजाना 15 से 20 किलोमीटर तक सफर करना पड़ता था. उसने बेटों को इस दौरान इंटरमीडिएट तक पढाया. इसके बाद चंबा कालेज में दाखिला भी करवाया.
विगत साल पालमपुर में सेना की रैली भर्ती हुई तो उसका बेटा रवि भारतीय सेना में सिलेक्ट हो गया, बेटे के फौज में सिलेक्ट होने पर खूब देई ने पूरे गांव में मिठाई बांटी, इस दौरान उसका पति भी जेल से छूट गया, दूसरा बेटा बंटी शर्मा कराटे में ब्लैक बेल्ट और सोलन में प्रशिक्षण ले रहा है, खूब देई के इस संघर्ष की आज पूरे समाज में चर्चा है.