भारतीय दिग्गज उद्योगपति गौतम अडाणी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. वो एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति होने के साथ-साथ दुनिया के दूसरे नंबर के अमीर व्यक्ति होने का मुकाम हासिल कर चुके हैं. अडाणी की सफलता की कहानी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है.

कभी कॉलेज की पढ़ाई पूरी ना कर पाने वाले अडाणी ने उद्योग जगत में वो मुकाम हासिल किया जिसकी तम्मना हर कोई करता है मगर पहुंच नहीं पाता. गौतम अडाणी का जन्म 24 जून 1962 में हुआ था. उनके परिवार की बात की जाए तो अडाणी 7 भाई-बहन थे.

अडाणी का परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर हुआ करता था. उनके पिता कपड़े का व्यापार करते थे. गौतम अडाणी ने अहमदाबाद के एससीएन विद्यालय से स्कूली शिक्षा हासिल की थी. उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए गुजरात यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया मगर आर्थिक तंगी की वजह से उनकी पढ़ाई बीच में ही छूट गई.

रोजी-रोटी के संकट के बीच अडाणी ने पैसा कमाने का मन बना लिया. वो अपना शहर छोड़कर मुंबई आ गए और एक डायमंड कंपनी में नौकरी करने लगे. कुछ समय बाद उन्होंने नौकरी छोड़कर व्यापार करने की शुरूआत कर दी. महज 20 साल की उम्र में ही उन्होंने हीरे का आउटलेट खोल दिया.

किस्मत ने अडाणी का साथ दिया और वो तेजी से तरक्की करने लगे. बात सन् 1980 के दशक की है. उस समय अडानी के पास खुद का स्कूटर भी नही हुआ करता था, बल्कि वह अपने बचपन के साथी मलय महादेविया के स्कूटर पर पीछे बैठे लोगों को दिख जाया करते थे.

इस दोस्ती की एक खास वजह अडाणी की कमजोर अंग्रेजी भी थी क्योंकि महादेविया की इंग्लिश अच्छी थी. 1988 में उन्होंने अडाणी इंटरप्राइजेज की स्थापना कर दी. जिस व्यक्ति के पास कभी खुद का स्कूटर नहीं था आज उसके पास लग्जरी सुविधाओं वाले प्राइवेट जेट है.

अडाणी की शादी प्रीति नाम की युवती से हुई, उनकी पत्नी पेशे से डेंटिस्ट हैं, आज वो अडाणी फाउंडेशन की प्रमुख हैं. उनके दो बेटे करण और जीत हैं. आज अडाणी का कारोबार दुनिया के कई देशों में फैला हुआ है. वो दुनिया के दूसरे नंबर के अमीर शख्स बनने का मुकाम हासिल कर चुके हैं.

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