आज हम आपको ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जिसको सुनकर आप शाय आश्चर्यचकित हो जाएं लेकिन हम आपको ऐसी जगह और विशेषता के बारे में बताएंगे. भारत के इतिहास को देखा जाए तो न्यूडिज्म का नाम आपने पहले भी सुना होगा.

जानकारी के अनुसार इस जगह ब्रिटिशर्स के आने के बाद ही महिलाओं ने यहां ब्लाउज पहनना शुरु किए थे. लेकिन ऐसा माना जाता है कि ये जीने का नेचुरल तरीका है, यहां के लोगों का मानना है कि बिना कपड़ों के लोग यहां ज्यादा कंफर्टेबल महसूस करते हैं आज हम आपको ऐसे आश्रम के बारे में बताने जा रहे हैं.

ये आश्रम केरल के कोझिकोड के वताकार में लगभग 10 एकड़ जमीन में फैला हुआ है. यहां सिद्ध समाज के लोग रहते हैं. यहां के लोग बिल्कुल प्राकृतिक तरीके से जिंदगी को जीना चाहते हैं फिर वो बात कपड़ों की हो, या खाने-पीने की या फिर आपसी संबंध बनाने की. इस आश्रम के बाहर लिखा है कि कुर्ता और ब्लाउज पहनकर अंदर जाना मना है अगर किसी को अंदर जाना है कि उसे उसके कपड़े उतारने पड़ेंगे.

आश्रम के ही रहने वाले सानंदन एस ने बचाया कि सिद्ध विद्या सीखते समय और खाना खाते समय भी यहां पर कपड़े नहीं पहने जाते हैं. इस आश्रम में किसी की ना तो कोई जाती है और ना ही कोई धर्म है. इस आश्रम में धार्मिक रीति रिवाजों की सख्त मनाही है. यहां सभी नामों के आगे एस लगाया जाता है.

एस का मतलब है स्वामी शिवानंद. स्वामी शिवानंद ने सिद्ध समाज की स्थापना की थी. यहां रहने वाला हर इंसान समाज के सदस्यों की देखभाल करेगा लेकिन उन पर हक नहीं जता सकता, इस आश्रम में ना कोई पत्नी हैं ना मां है, ना पति हैं और ना ही कोई भाई-बहन हैं.

गौरतलब है कि ये सभी रिश्ते आपको हक जताने पर मजबूर करते हैं इस आश्रम की खास बात ये है कि आप किसी के साथ सेक्स तो कर सकते हैं लेकिन रिश्ता नहीं बना सकते हैं. आप हर बार कोई नया व्यक्ति चुन सकते हैं. आश्रम में जन्मे बच्चे 3 साल तक मां के पास रह सकते हैं उसके बाद उन्हें आश्रम के ही स्कूल में जाना पड़ता हैं और बच्चों को प्यार और नफरत जैसे अहसासों से भी दूर रखा जाता है.

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