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बिहार चुनाव में महागठबंधन की हार की कई वजहें गिनाई जा रही है कहीं पर कांग्रेस को दोष दिया जा रहा है तो कहीं पर खुद राजद सरकार और प्रशासनिक मशीनरी के दुरुप्रयोग की बात कर रहा है. मंगलवार को देर रात आए नतीजों ने ये साफ कर दिया कि एक बार फिर बिहार में नीतीश कुमार की सरकार बनने जा रही है, एनडीए को 125 सीटों पर जीत मिली है.

कांटे की टक्कर में कभी महागठबंधन आगे जाते हुए दिखाई दिया तो कहीं एनडीए को बढ़त मिलती हुई दिखाई दी. इस चुनाव में राजद की अगुवाई वाले महागठबंधन ने नौकरी, गरीबी, राश और अशिक्षा जैसे मुद्दों पर चुनाव लडा. लेकिन 15 साल के राजद शासनकाल की यादें अब भी लोगों के जेहन में थी जिस पर तेजस्वी जनता को उस तरह से समझा नहीं पाए जैसे साल 2012 के चुनावों में अखिलेश यादव ने समझा लिया था.

साल 2012 के चुनावों के दौरान मुलायम सिंह यादव के करीबी मुलायम सिंह यादव के करीबी और देवरिया के सांसद मोहन सिंह ने रामपुर के नेता आजम खान से मुलाकात की और पश्चिमी यूपी के खूंखार डान के रुप में प्रसिद्ध डीपी यादव.को सपा में शामिल कराने के लिए समर्थन देने का एलान कर दिया लेकिन अखिलेश इस फैसले के खिलाफ हो गए,.

कहा जता है कि इस फैसले पर अखिलेश यादव ने अपने पिता से भी बात की. मोहन सिंह को पार्टी के प्रवक्ता पद से हटा दिया गया और डीपी यादव भी पार्टी में शामिल नहीं हो पाए.

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