उत्तर प्रदेश में मकान मालिक और किराएदार के बीच विवाद को कम कम करने के लिए योगी सरकार ने बड़ी कवायद की है. सरकार ने 48 साल पुराने कानून की जगह उत्तर प्रदेश नगरीय किराएदारी विनियमन अध्यादेश-2021 को पिछले दिनों में पेश किया. इस अध्यादेश को अब यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंजूरी दे दी है.

राज्यपाल की ओर से मंजूरी मिलते ही इस अध्यादेश को यूपी में अब बतौर कानून लागू कर दिया गया है. इस अध्यादेश के माध्यम से यूपी सरकार ने कई बड़े सुधार किए हैं. इसमें मकान मालिक और किराएदारों के बीच में कई बंदिशे भी लगाई गई है. जिनमें मनमाने तरीके से किराया बढ़ाने से लेकर सालाना वृद्धि दर का प्रतिशत भी तय किया है.

मकान मालिक को ये अधिकार भी दिया गया है है कि अगर निश्चित समय सीमा पर किराया ना मिले तो वो किरायेदार को हटा भी सकता है. वहीं अब यूपी में किराए का मकान लेने के लिए अनुबंध लेना अनिवार्य होगा. उत्तर प्रदेश नगरीय किराएदारी विनियमन अध्यादेश 2021 ने 48 साल पुराने उत्तर प्रदेश शहरी भवन अधिनियम -1972 की जगह ले लिया है.

अध्यादेश के तहत लिखित करार के बिना अब भवन को किराए पर नहीं दिया जा सकेगा. करार के लिए भवन स्वामी और किरायेदार को अपने बारे में जानकारी देने के साथ ही भवन की स्थिति का विस्तृत ब्यौरा तय प्रारुप पर देना होगा. उसमें दोनों लोगों की जिम्मेदारियों का भी उल्लेख होगा. एग्रीमेंट के 2 महीने के भीतर मकान मालिक और किराएदार को इसकी जानकारी ट्रिव्यूनल को देनी होगी.

इसके लिए डिजिटल प्लेटफार्म की व्यवस्था की जा रही है. हालांकि अगर एग्रीमेंट एक साल से कम का है तो सूचना देना अनिवार्य नहीं है. किराएदारी के विवाद को निपटाने के लिए रेंट अथारिटी और रेंट ट्रिब्यूनल के गठन की व्यवस्था की गई है. एडीएम स्तर के जहां किराया प्राधिकारी होंगे, वहीं जिला न्यायाधीश खुद या अपर जिला न्यायाधीश किराया अधिकरण की अध्यक्षता करेंगे. अधिकतम 60 दिनों में मामले का निस्तारण किया जाएगा.

अध्यादेश में प्रमुख व्यवस्थाः

  • आवासीय भवन पर 5 फीसदी और आवासीय पर 7 फीसदी सालाना किराया बढ़ाया जा सकता है.
  • किराएदार को भी जगह की देखभाल करनी पड़ेगी.
  • दो महीने तक किराया ना मिलने पर मकान मालिक किराएदार को हटा सकेंगे.
  • मकान मालिक से बिना पूछे किसी प्रकार की तोड़फोड़ मकान मालिक नहीं करा सकेगा.
  • पहले से रह रहे किराएदारों के साथ अनुबंध के लिए 3 महीने का समय.
  • किराया बढ़ने के विवाद पर रेंट ट्रिब्यूनल संसोधित किराया और किराएदार द्वारा देय अन्य शुल्क का निर्धारित कर सकेंगे.
  • सिक्योरिटी डिपाजिट के नाम पर मकान मालिक दो महीने से ज्यादा का एडवांस नहीं ले सकेंगे.
  • गैर आवासीय परिसरों के लिए 6 महीने का एडवांस लिया जा सकेगा.
  • समय पर देना होगा किराया.
  • मकान मालिक को देनी होगी किराए की रसीद.
  • किराएदारी अनुबंध पत्र की मूल प्रति का एक-एक सेट दोनों के पास रहेगा.
  • अनुबंध अवधि में मकान मालिक किराएदार को नहीं कर सकता बेदखल.
  • मकान मालिक को जरुरी सेवाएं देनी होंगी.

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