देश के उत्तर प्रदेश में स्थित ताजनगरी आगरा एतिहासिक दृष्टि से काफी अहम है. हर साल यहां बड़ी संख्या में विदेशी सैलानी आते हैं. जो ताजमहल और लालकिले का दीदार करते हैं. ताजमहल विदेशी सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है. मुग़ल राज में बनी ये संगमरमर की ईमारत बस देखते ही बनती है.
मुगलों के शासन के प्रारम्भ से सुल्तानों के शासन के अंतिम समय तक दिल्ली ही भारत की राजधानी रही थी. सुल्तान सिकंदर लोदी के शासन के उत्तर काल में उसकी राजनैतिक गतिविधियों का केंद्र दिल्ली के बजाय आगरा हो गया था. यहां उसकी सैनिक छावनी थी. मुग़ल राज को लाने वाले बाबर ने शुरू से ही आगरा को अपनी राजधानी बनाया. बाबर के बाद हुमायूं और शेरशाह सूरी और उसके उत्तराधिकारियों ने भी आगरा को ही राजधानी बनाया.
इस कारण आगरा की बड़ी उन्नति हुई और मुग़ल साम्राज्य का सबसे बड़ा नगर बन गया था. इब्राहीम लोदी को हराकर बाबर ने आगरा में अपनी राजधानी बनाई थी.
ताजमहल शाहजहां की तीसरी बेगम की याद में बनवाया गया. मुमताज के गुजर जाने के बाद उनकी याद में शाहजहां ने ताजमहल बनवाया. कहा जाता है कि मुमताज महल ने मरते वक्त मकबरा बनाए जाने की ख्वाहिश जताई थी. जिसके बाद शाहजहां ने ताजमहल बनवाया.
शाहजहां ने इसके लिए बग़दाद और तुर्की से कारीगर बुलवाए थे. साल 1630 में शुरू हुआ ताजमहल निर्माण का कार्य 22 साल तक चला. इसे बनाने में करीब 20 हजार मजदूर लगे.