सपनों को पाने के लिए उड़ान भरने का जुनून हो तो मंज़िल मिल ही जाती है. बच्चे जब छोटे होते हैं तो उनसे पूछा जाता है कि वह बड़े होकर क्या बनेंगे तो अपने मां की ख्वाहिश को बताते हैं. इनमें से कुछ ही बच्चे ऐसे होते हैं जो बड़े होकर उस मुक़ाम को हासिल कर पाते हैं. जिसका जुनून उसके सपने के प्रति नहीं बदलता वह उस मंज़िल तक पहुंच ही जाता है. ऐसा ही कर दिखाया है किसान की एक बेटी ने.

उर्वशी ने कक्षा 6 में पढ़ते हुए विमान उड़ाने का सपना देखा था. जो अब पूरा हो गया है. कच्चे घर में रहकर उर्वशी ने आर्थिक चुनौतियों का सामना किया, लेकिन ये चुनौतियाँ उनके पायलट बनाने के बीच में बाधा नहीं बन पायीं. अब वह कमर्शियल पायलट बनकर दुनिया में उड़ान बाहर रही हैं.

गुजरात के भरूच ज़िले के जम्बूसर तालुक़ा की किसान की बेटी उर्वशी दुबे पायलट बनकर घर लौटी हैं. पायलट बनाने के बचपन के सपने पर जो लोग मज़ाक़ बनाया करते थे आज वह बधाई दे रहे हैं.

किसान अशोकभाई की बेटी जब कक्षा 6 में पढ़ रही थी. तब उसने आसमान में एक हवाई जहाज़ उड़ाने का सपना देखा. घर के लोगों ने बेटी को पायलट बनाने का बीणा उठाया. कोरोनाकाल में आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.

उर्वशी बताती हैं कि पायलट बनना बचपन का सपना था. पिता एक किसान है. पायलट बनना महंगा था, लेकिन उनके पिता ने उन्हें मना नहीं किया. यथासंभव मदद करने की बात कही. शिक्षकों और सीनियर्स की मदद से वे आगे बढ़ती गयी.

अब जब वह एक पायलट बनकर घर लौटीं तो हर किसी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा. ना सिर्फ़ घर बल्कि गांव के लोगों में गांव की बेटी के पायलट बनने की ख़ुशी साफ़ तौर पर झलक रही है.उर्वशी वहां की बेटियों के लिए एक प्रेरणा बनकर उभरी हैं.

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