बिकरू प्रकरण के मुख्य आरोपी विकास दुबे की क्षेत्रभर में दहशत थी. उसके खौफ के आगे लोग गलत के खिलाफ आवाज नहीं उठा पाते थे. हालांकि अब ये खौफ बीते वक्त की कहानी रह गया है. बिकरू गांव और पड़ोस के भीटी गांव के प्रधानों को उनके पद से हटा दिया गया है.
बिकरू गांव में बीते 25 सालों से विकास दुबे के छोटे भाई दीपक की पत्नी अंजलि दुबे प्रधान थी. विकास का डर लोगों में कुछ इस तरह था कि अंजलि निर्विरोध चुनी गयी थी.
भीटी गांव में जिलेदार सिंह ग्राम प्रधान थे. जिलेदार इस वक्त जेल में हैं. उसे भी विकास दुबे की मेहरबानी से प्रधानी मिली थी. बिकरू प्रकरण के बाद से इन दोनों प्रधानों ने पंचायत राज विभाग से संपर्क नहीं किया था. नोटिसों का जवाब भी दोनों प्रधानों की तरफ से नहीं दिया गया. ऐसे में गांव के विकास कार्य ठप पड़े थे. विकास कार्य को आगे बढ़ाने के लिए इन गांवों में नए प्रधान नामित कर दिए गए हैं.
बिकरू गांव में अंजलि दुबे को हटाकर रामश्री को कार्यवाहक प्रधान बनाया गया है, वहीं भीटी में जिलेदार को हटाकर विष्णु पाल सिंह को प्रधान का अधिकार दिया गया है. गांव वाले बताते हैं कि विकास दुबे का खौफ इस तरह था कि आसपास के 20 से अधिक गांवों में उसकी मर्जी से ही प्रधान चुने जाते थे. वह जिसे चाहता था उसे प्रधान बनवा देता था.