कानपुर के बिकरू प्रकरण के मुख्य आरोपी विकास दुबे की गाड़ी कैसे पलटी इसका गवाह एसटीएफ को नहीं मिल रहा है. सुप्रीमकोर्ट द्वारा गठित जस्टिस चौहान आयोग को पुलिस थ्योरी के खिलाफ कोई गवाही देने वाला नहीं मिल रहा है. कोई ऐसा नहीं है जो पुलिस की इस थ्योरी को गलत साबित कर सके.

पैनल का कहना है कि अभी तक किसी भी प्रत्यक्षदर्शी ने अपनी गवाही में पुलिस के बयान का खंडन नहीं किया है. गवाही के लिए आयोग ने काफी मशक्कत की लेकिन सफलता नहीं मिल पायी.

गौरतल है कि विकास दुबे को जिस गाड़ी से उज्जैन से कानपुर लाया जा रहा था, उस गाड़ी को चलाने वाले ड्राइवर कांस्टेबल ने बताया था कि हम लोगो नॉन स्टॉप उज्जैन से कानपुर के लिए निकले थे. विकास को 24 घंटे के भीतर यहां पेश करना था, ऐसे में एक-एक मिनट कीमती था. सुबह भीषण बारिश हो रही थी. वाइपर चलाने के बाद भी बार-बार शीशे पर धुंध जम जा रही थी.

आगे बताया कि पूरी सतर्कता के साथ चल रहे थे पर सचेंडी थाने के पास भैंसे सामने आ गयीं और कार सर्विस लेन के डिवाइडर से टकराकर पलट गयी. विकास के अलावा नवाबगंज थाना प्रभारी इंस्पेक्टर रमाकांत पचौरी, कल्यानपुर थाने के दरोगा पंकज सिंह, एसटीएफ के हेड कांस्टेबल प्रदीप सिंह बैठे थे.

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