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उत्तर प्रदेश के बागपत जिले मे एक मुस्लिम दारोगा के लंबी दाढ़ी रखने के आरोप में निलंबित करने के बाद लोग तरह-तरह की बातें कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि अनुशासनहीनता के मामले में दारोगा को निलंबित किया गया है. अब ये भी बात सामने आ रही है कि पुलिस में अगर सिखों को दाढ़ी रखने की इजाजत है तो मुस्लिमों को क्यों नहीं? आपके लिए ये बात जानना जरुरी है कि देश में सैन्य सेवा या फिर पुलिस में बाल-दाढ़ी रखने को लेकर नियम क्या कहते है.

सेना में अपनी धार्मिक मान्यताओं को अभिव्यक्त करने या ना करने को लेकर काफी सख्ती बरती जा रही है, चूंकि सेना देश से जुडी हुई होती है इसलिए ऐसे नियम बने हैं कोई भी सैनिक या अधिकारी अपने वेशभूषा से धार्मिक अभिव्यक्ति ना करे. इससे जाहिर होता है कि सेना एक यूनिट है और उसकी सामूहिक पहचान मजबूत करेगी.

इसके अलावा सेना में सिखों के अलावा किसी को भी दाढ़ी रखने की अनुमति नहीं है. हालांकि थल सेना में विशेष परिस्थतियों में सिखों को दाड़ी रखने की इजाजत दी जा सकती है.

वायुसेना में कोई भी अपनी धार्मिक पहचान को किसी चिन्ह के माध्यम से नहीं दिखा सकता. हालांकि वायुसेना में 1 जनवरी 2002 से पहले नामांकन के समय दाढ़ी रखने वाले मुसलमानों को चेहरे पर बाल रखने की अनुमति देता है. हालांकि इसकी लंबाई और रखरखाव के संबंध में कई नियम भी है. नौसेना में दाढ़ी बढ़ाई जा सकती है लेकिन इसके लिए अधिकारी की अनुमति आवश्यक होती है.

पुलिस विभाग के कर्मचारी बिना अनुमति मूंछे तो रख सकते हैं लेकिन दाढ़ी नहीं. केवल सिख समुदाय ही बिना इजाजत के दाढ़ी रख सकता है. वहीं किसी दूसरे धर्म को मानने वाला ऐसा करे तो विभाग से संबंधित इजाजत चाहिए होती है.

उत्तर प्रदेश पुलिस नियमावली 10 अक्टूबर 1985 को एक सर्कुलर जोड़ा गया जिसके अनुसार मुस्लिम कर्मचारी एसपी से इजाजत लेकर दाढी रख सकते हैं. कहा जा रहा है कि दारोगा ने इससे संबंधित कोई भी अनुमति नहीं मांगी थी.

सिखों में माना जाता है कि केश की प्राकृतिक बढ़त को नुकसान ना पहुंचाने की मान्यता है.यह प्रथा 5 ककारों में से एक है जिसे खुद सिख गुरु गोविंद सिंह ने जरुरी बताया था. साल 1699 में गुरु ने कहा था कि मेरा सिख उस्तरा इस्तेमाल नहीं करेगा. दाढ़ी के बाल काटना उसकी बड़ी भूल माना जाएगा.

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