अगर आप कचहरी गए होंगे तो आपने देखा होगा कि वहां पर वकील काला कोट ही पहने रहते हैं. सर्दी हो या गर्मी हर मौसम में वकील आपको काले कोट में ही दिखाई देंगे. क्या आपने कभी सोचा है कि वकील काला कोट ही क्यों पहनते हैं. अगर नहीं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं इसकी वजह.

माना जाता है कि वकीलों के काला कोट पहनने की परंपरा इंग्लैंड से शुरू हुई थी. साल 1865 में इंग्लैंड के शाही परिवार ने किंग्स चार्ल्स द्वितीय के निधन पर काला कोट पहनने का आदेश दिया था. इसके बाद से ही काले कोट का चलन शुरू हुआ.

भारत में अंग्रेजों के समय से ही वकीलों के काला कोट पहनने का चलन चला आ रहा है जो आज तक जारी है. भारत में 1961 में वकीलों के लिए काला कोट पहनना अनिवार्य कर दिया गया था.

बता दें कि काला कोट अनुशासन और आत्मविश्वास का प्रतीक माना जाता है. काले रंग को ताकत और अधिकार का प्रतीक माना जाता है.

काला रंग दृष्टिहीनता का प्रतीक माना जाता है, वैसे भी ये कहा जाता है कि कानून अंधा होता है क्योंकि दृष्टिहीन व्यक्ति किसी के साथ पक्षपात नहीं करता. काला कोट पहनने का मतलब ये है कि वकील बिना किसी पक्षपात के अपना मुकदमा लड़ेगा.

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