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उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यहां सक्रिय सभी राजनैतिक दल चुनावी गुणभाग में जुट गए हैं. सत्ताधारी दल बीजेपी के अलावा विपक्षी पार्टियां चुनावी घमासान में उतरने के लिए तैयार हैं. नेताओं के दल बदल का सिलसिला भी चल पड़ा है.

सूबे की भाजपा सरकार ने चुनाव से पहले अपने कार्यकर्ताओं को राहत देने के लिए बड़ा फैसला लेते हुए कहा है कि भाजपा कार्यकर्ताओं पर दर्ज मुकदमें वापस लिए जाएंगे.

भाजपा नेता बीएल संतोष के साथ बैठक में पार्टी के कई बड़े पदाधिकारियों ने ये मुद्दा उठाया था कि सपा और बसपा की सरकार में पार्टी कार्यकर्ताओं पर राजनीतिक द्वेश के चलते फर्जी मुकदमें दर्ज किए गए थे, इन्हें वापस लिया जाना चाहिए.

इसके बाद सरकार ने निर्णय लिया है कि पूर्व की सरकारों में दर्ज 5000 से अधिक मुकदमें जल्द वापस लिए जाएंगे और बाकी बचे केस जुलाई तक हटाए जाएंगे.

यूपी के कानून मंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि ये सतत प्रक्रिया है. ऐसे मुकदमें राजनीतिक द्वेश की वजह से आंदोलन के चलते दर्ज किए गए थे. उन्होंने कहा कि हम उनका परीक्षण कर रहे हैं, ऐसे सभी मुकदमें वापस लिए जाएंगे और ये प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी.

राजनीतिक जानकार बता रहे हैं कि कोरोना काल के दौरान हुई उपेक्षा के चलते भाजपा कार्यकर्ताओं में नाराजगी है और चुनाव से पहले इसी नाराजगी को दूर करने के लिए भाजपा सरकार ये कदम उठा रही है.

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